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24 हफ्ते बाद मिली गर्भपात की इजाजत, SC ने सुनाया अहम फैसला

24 हफ्ते की गर्भवती पीड़िता को सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत दे दी है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 08:16 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 07:37 AM (IST)
24 हफ्ते बाद मिली गर्भपात की इजाजत, SC ने सुनाया अहम फैसला

नई दिल्ली (जेएनएन)। 24 हफ्ते की गर्भवती महिला को सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत दे दी है। मुंबई की इस महिला ने सुप्रीम कोर्ट में प्रेगनेंसी एक्ट 1971 को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती थी। कोर्ट ने महिला की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया था।

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आज मेडिकल रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के बाद महिला को गर्भपात कराने की इजाजत मिल गई। पीड़िता का कहना था कि उसके जन्म लेते ही मर जाने की आशंका है और उसकी जान पर भी खतरा है।

गौरतलब है कि भारतीय कानून के मेडिकल टेर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के मुताबिक 20 हफ्ते से ज्यादा गर्भवती महिला का गर्भपात नहीं हो सकता। इस कानून को चुनौती देते हुए महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह बेहद ही गरीब परिवार से है।

एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश

24 हफ्ते बाद गर्भपात के लिए गुहार लगानेवाली बलात्कार पीड़िता नाबालिग के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एम्स से मेडिकल बोर्ड गठित करने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वे इस मेडिकल बोर्ड में तीन सीनियर गायनकोलॉजिस्ट और एक क्लानिकल साइकेट्रिस्ट रखें। इसके साथ ही, कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि वह भ्रूण का सैंपल भी डीएनए के विश्लेषण के लिए रखें ताकि यह अपहरण और बलात्कार केस में सबूत के तौर पर काम आ सके।

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पीड़िता का ये है तर्क

पीड़िता का तर्क था कि जब ये कानून बना था उस वक्त 20 हफ्ते की गर्भपात का नियम ठीक था, लेकिन अब वक्त बदल चुका है। ऐसे में अब 26 हफ्ते बाद भी गर्भपात हो सकता है।

गर्भ से जान को खतरा

पीड़िता का यह भी कहना था कि गर्भ के चलते उसकी जान को खतरा है। पीड़िता के मुताबिक, उसके गर्भ में पल रहा भ्रूण सामान्य रूप से विकसित नहीं हो रहा है। उसके जन्म लेते ही मर जाने की आशंका है।

हाईकोर्ट ने दी गर्भपात कराने की अनुमति

यह है मामला

पीड़िता के मुताबिक, 2 जून, 2016 को डॉक्टरों ने उसका गर्भपात करने से इनकार कर दिया। डॉक्टरों ने गर्भपात नहीं करने के पीछे कानून का हवाला दिया। साथ ही कहा था कि वह चाहे तो भी गर्भपात नहीं करवा सकती।

मजबूरन करना पड़ा कोर्ट का रुख

पीड़िता का कहना है कि चारों ओर से निराशा मिलने के चलते उसे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। पीड़िता का कहना है कि गर्भपात की इजाजत मिलने से उसे राहत मिलेगी।


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