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दिल्ली वालों को लगेगा बढ़े बिजली दामों का 'करंट'

दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं को अगले माह एक बार फिर से महंगी बिजली का करंट लग सकता है। संभव है कि इसी माह के अंत में या अगस्त के पहले सप्ताह में बिजली की नई दरें निर्धारित करने के लिए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग घोषणा कर दे।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2015 09:54 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2015 11:12 AM (IST)
दिल्ली वालों को लगेगा बढ़े बिजली दामों का 'करंट'

नई दिल्ली। दिल्ली के बिजली उपभोक्ताओं को अगले माह एक बार फिर से महंगी बिजली का करंट लग सकता है। संभव है कि इसी माह के अंत में या अगस्त के पहले सप्ताह में बिजली की नई दरें निर्धारित करने के लिए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग घोषणा कर दे।

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बिजली वितरण कंपनियां भी बिजली की दरें बढ़ाने के लिए डीईआरसी पर दबाव बना रही हैं। डीईआरसी ने वर्ष 2015-16 का वार्षिक टैरिफ घोषित करने की प्रक्रिया मार्च में शुरू कर दी थी। कंपनियों की मांगों को डीईआरसी की वेबसाइट पर डालकर इस पर उपभोक्ताओं की राय मांगी गई है, लेकिन अब तक जनसुनवाई नहीं हुई है।

इसी बीच एपिलेट टिब्यूनल ऑफ इलेक्टिसिटी के निर्देश पर डीईआरसी ने 12 जून को बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं से बिजली खरीद समायोजन लागत शुल्क (पीपीएसी) अधिभार वसूलने की अनुमति दे दी है।

इससे टाटा पावर दिल्ली डिस्टिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीए) के उपभोक्ताओं को चार फीसद तथा बीएसईएस राजधानी और बीएसईएस यमुना के उपभोक्ताओं को छह फीसद अतिरिक्त बिल देना पड़ रहा है। लेकिन, बिजली कंपनियां इससे संतुष्ट नहीं हैं।

वह वार्षिक टैरिफ घोषित करने की मांग कर रही हैं।1कंपनियों का कहना है कि महंगी बिजली खरीदने से उनका घाटा लगातार बढ़ रहा है। बीएसईएस की दोनों कंपनियों का कहना है कि उनका कुल घाटा 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है।

इसी तरह से टीपीडीडीएल भी आठ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा घाटा होने की बात कर बिजली की दरें बढ़ाने की मांग कर रही है। यदि कंपनियों की मांग के अनुरूप डीईआरसी बिजली की दरें बढ़ाता है तो दिल्ली में बिजली 20 फीसद तक महंगी हो सकती है।

उनका कहना है कि लंबी अवधि के लिए हुए समझौते के अनुरूप उन्हें लगभग 95 फीसद बिजली महंगे रेट पर खरीदनी पड़ रही है। लेकिन उस अनुपात में बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई है जिससे लगातार घाटा बढ़ रहा है।

वहीं, दूसरी ओर दिल्ली सरकार और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) बिजली कंपनियों की मांग को गलत ठहरा रही है। सरकार का कहना है कि बिजली कंपनियों के खाते की भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की जांच पूरी होने तक डीईआरसी को बिजली की दरें नहीं बढ़ानी चाहिए।

वहीं, कंपनियों का कहना है कि नियम के अनुसार प्रत्येक वर्ष जुलाई तक वार्षिक टैरिफ घोषित हो जानी चाहिए। बता दें कि डीईआरसी भी वार्षिक टैरिफ निर्धारित करने के लिए जनसुनवाई करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए जल्द नोटिस जारी होने की उम्मीद है।


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