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केजरीवाल को एक और झटका, अब राष्ट्रपति ने वापस भेजा सिटीजन चार्टर बिल

बिल को नवंबर 2015 में पास कर राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। इससे पहले दिल्ली सरकार के पास विधायकों का वेतन बढ़ाने वाला प्रस्तावति बिल वापस आ चुका है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 21 Feb 2017 08:03 AM (IST)Updated: Tue, 21 Feb 2017 09:48 PM (IST)
केजरीवाल को एक और झटका, अब राष्ट्रपति ने वापस भेजा सिटीजन चार्टर बिल
केजरीवाल को एक और झटका, अब राष्ट्रपति ने वापस भेजा सिटीजन चार्टर बिल

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी को पिछले एक हफ्ते के दौरान दूसरा झटका लगा है, जब दिल्ली सरकार का एक और बिल 'सिटिजन चार्टर' खामियों के चलते लौटा दिया गया है।

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कुछ दिन पहले राष्ट्रीय राजधानी के विधायकों के वेतन में 400 फीसद और भत्तों में भारी वृद्धि करने संबंधी दिल्ली सरकार के विधेयक को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दूसरी बार लौटा था। इसके अलावा मंत्रालय ने कुछ और स्पष्टीकरण भी मांगे हैं।

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अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली सरकार द्वारा विधानसभा से पारित ‘दिल्ली समयबद्ध नागरिक सेवा अधिकार अधिनियम के मसौदे को मंजूरी नहीं दी है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति सचिवालय ने पिछले सप्ताह संशोधन की सिफारिश के साथ विधेयक को गृह मंत्रालय के पास भेज दिया। मंत्रालय उपराज्यपाल अनिल बैजल के माध्यम से विधेयक को दिल्ली सरकार को भेजेगा।

बिल के वापस भेजने का कारण दिल्ली सरकार को आप सरकार लिखना बताया गया है। जिसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार का मतलब उपराज्यपाल लिखा जाना चाहिए।

दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने सिटीजन चार्टर यानी दिल्ली (राइट टू सिटीजन टू टाइम बाउंड डिलीवरी आफ सर्विस) बिल वापस भेजे जाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि अब दिल्ली सरकार को इस बारे में तय करना है कि उन्हें बिल वापस भेजना है या नहीं।

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इस बिल को नवंबर 2015 में पास कर राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। इससे पहले दिल्ली सरकार के पास विधायकों का वेतन बढ़ाने वाला प्रस्तावति बिल वापस आ चुका है। इसे भी दिल्ली विधानसभा से पास कर राष्ट्रपति के पास भेजा गया था।

यह भी जानें

सूत्रों के अनुसार, नागरिक सेवाओं को समयबद्ध तरीके से मुहैया कराने के प्रावधानों से जुड़े इस विधेयक को वापस लौटाने की वजह एक प्रावधान है। विधेयक में केजरीवाल सरकार द्वारा 'सरकार' शब्द की परिभाषा में बदलाव के लिए केंद्र सरकार ने अमान्य करने का राष्ट्रपति को सुझाव दिया है। इसमें सरकार की परिभाषा में उप-राज्यपाल को हटाकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की ‘मंत्रिपरिषद शब्दावली शामिल कर दिया।

अब गृह मंत्रालय ने दलील दी है कि यह एनसीटी दिल्ली एक्ट-1994 का सरासर उल्लंघन है। दिल्ली को राज्य का दर्जा देने वाले इस मूल कानून के तहत सरकार का मतलब उप-राज्यपाल है, इसलिए केजरीवाल सरकार द्वारा किया गया संशोधन मूल कानून का विरोधाभासी है।


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