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कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, प्रोजेक्ट में देरी के लिए सिर्फ बिल्डर जिम्मेदार

गतल नीयत, आपसी विवाद या अन्य कारण से डिलीवरी के समय में देरी के लिए बिल्डर अतिरिक्त रुपये की मांग नही कर सकता। इसके लिए ग्राहक को हुई असुविधा के लिए उसे हर्जाना देना चाहिए।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 08:25 AM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 09:30 AM (IST)
कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, प्रोजेक्ट में देरी के लिए सिर्फ बिल्डर जिम्मेदार

नई दिल्ली। निर्माण कार्य में किसी प्रकार की देरी होने की स्थिति में बिल्डर डिलीवरी के समय खरीदार से अतिरिक्त रकम की मांग नहीं कर सकता है, जोकि उसके और खरीदार के बीच हुए अनुबंध का हिस्सा नहीं है। डिलीवरी में हुए देरी के मुआवजा का जिम्मेवार भी बिल्डर ही होगा।

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प्रोजेक्ट में देरी के लिए बिल्डर पर 20 हजार रुपये का जुर्माना

यह आदेश तीस हजारी कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान जज ने दिया। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश कामिनी लॉ ने टीडीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड व याचिकाकर्ता दो भाइयों के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि टीडीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर दोनों भाइयों से डिलीवरी देने के लिए अतिरिक्त मांग को वापस ले।

उन्हें दो माह के अंदर संपत्ति का अधिकार सौंपे। गतल नीयत, आपसी विवाद या अन्य कारण से डिलीवरी के समय में देरी के लिए बिल्डर अतिरिक्त रुपये की मांग नही कर सकता। इसके लिए ग्राहक को हुई असुविधा के लिए उसे हर्जाना देना चाहिए।

गौरतलब है कि सेंट्रल दिल्ली निवासी राजेश व मोहन मित्तल ने सोनीपत, हरियाणा में टीडीआई सिटी में जनवरी 2006 में प्लॉट बुक किया था। अनुबंध के अनुसार प्लॉट 42.7 लाख रुपये में बुक किया गया। उन्होंने 38.9 लाख अदा कर दिए।

फरवरी 2008 में कंपनी ने उनसे अतिरिक्त 21.8 लाख की मांग की। उन्होंने चेक के माध्यम से रुपये दे दिए। वर्ष 2010 में फिर से 9.5 लाख रुपये मांगे गए। पैसे नहीं देने पर बिल्डर ने बुकिंग कैंसल करने की धमकी दी।


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