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Nirbhaya case: दोषी अक्षय पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बोला- प्रदूषण से मर रहे लोग, फांसी क्यों?

निर्भया केस में दोषी अक्षय कुमार सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दाखिल की गई है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 03:11 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 06:07 PM (IST)
Nirbhaya case: दोषी अक्षय पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बोला- प्रदूषण से मर रहे लोग, फांसी क्यों?
Nirbhaya case: दोषी अक्षय पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, बोला- प्रदूषण से मर रहे लोग, फांसी क्यों?

ऩई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर फांसी की सजा को चुनौती दी है। याचिका में अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट से उसे फांसी की सजा देने के 5 मई 2017 के आदेश पर पुनर्विचार कर उसे रद करने की मांग की है।

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दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इस दौरान छात्रा को गंभीर चोटें पहुंचाई गईं थी जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। इस मामले में निचली अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक से चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। तीन अभियुक्तों मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट गत वर्ष 9 जुलाई को खारिज कर चुका है। लेकिन अक्षय ने अभी तक पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी।

अक्षय सिंह ने वकील एपी सिंह के जरिये दाखिल पुनर्विचार याचिका में फांसी की सजा का विरोध करते हुए कहा है कि फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए बल्कि दोषी में क्रमवार सुधार किये जाने चाहिए क्योंकि फांसी देकर सिर्फ अपराधी को मारा जा सकता है अपराध को नहीं। याचिका में मृत्युदंड समाप्त किये जाने की भी बात कही गई है।

इतना ही नहीं याचिका में दिल्ली में प्रदूषण की खराब स्थिति का हवाला देते हुए कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। दिल्ली गैस चैम्बर बन चुकी है। यहां का पानी जहरीला हो चुका है। प्रदूषित हवा और पानी के चलते पहले ही लोगों की उम्र कम हो रही है, तो फिर फांसी की सजा की क्या जरूरत है। याचिका मे वेद पुराण और उपनिषद आदि का भी हवाला दिया गया है और कहा गया है कि धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीवित रहते थे। त्रेता युग में भी एक व्यक्ति हजार वर्ष तक जीता था लेकिन कलयुग में आदमी की उम्र 50-60 वर्ष तक सीमित रह गई है। फांसी की सजा देने की जरूरत नहीं है।


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