खुले में जलाया जा रहा है कूड़ा
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा खुले में कूड़ा जलाने पर भ
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा खुले में कूड़ा जलाने पर भारी जुर्माना लगाने के आदेश के बावजूद पश्चिमी दिल्ली में कूड़ा जलाने की घटना बदस्तूर जारी है। आदेश में भारी जुर्माना सहित कड़े प्रावधान के बावजूद ना तो लोगों में जागरूकता आई है और ना ही फिलहाल सिविक एजेंसियां हरकत में दिख रही हैं। यही कारण है कि खुले में कूड़ा जलाने से लोग बाज नहीं आ रहे हैं। उधर इस मामले में निगम अधिकारी विशेष टीम गठित कर कार्रवाई करने का भरोसा दे रहे हैं, लेकिन इस पर पूरी तरह लगाम लग पाएगा लोगों को इस पर संशय है।
ज्ञात हो कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खुले में कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आदेश के मुताबिक, अब कोई भी व्यक्ति खुले में कूड़ा-कचरा, सुखी पत्तियां अथवा प्लास्टिक इत्यादि नहीं जला सकता है। यदि कोई ऐसा करता पाया जाता है तो उस पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी सिविक एजेंसियों और अथॉरिटी के अधिकारियों को दी गई है, लेकिन आदेश के बाद पहले दिन पश्चिमी दिल्ली में इसका कोई असर नहीं दिखा। द्वारका सेक्टर तीन में नाले के किनारे कूड़ा जलाया जा रहा था। वहीं उत्तम नगर में भी इस तरह की घटना देखने को मिली।
दरअसल कूड़ा की मात्रा कम हो इसलिए ज्यादातर मामले में सफाई कर्मी ही कूड़े में आग लगा देते हैं। पार्को में कर्मी द्वारा सूखे पत्ते जलाने का दृश्य तो आम है। द्वारका निवासी अनिल कुमार ने बताया कि वे रास्ते से गुजरते वक्त देखते हैं कि क्षेत्र में कई जगह कूड़े में आग लगा रहता है। इससे उठ रहा काला धुआं दम घोंटू होता है। वहीं आस-पास के इलाके को भी प्रदूषित करता है, लेकिन लोग आमतौर पर इस तरह की घटना देखते रहते हैं। इसलिए वे उसका विरोध नहीं करते। उन्होंने बताया कि जब तक इस आदेश का कड़ाई से पालन नहीं किया जाता तब तक इस प्रकार की घटना रोकना मुश्किल है।
भरत विहार निवासी मारीदास प्रधान बताते हैं कि आए दिन कूड़े में आग लगाने की घटना होती रहती है। इस धुएं से प्रदूषण बढ़ रहा है। गत दिनों कई बार उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों से भी शिकायत की थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने बताया कि अब देखना है कि क्या इस तरह की घटना रुकती है अथवा पहले की तरह जारी रहती है।