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SC ने कहा- दिल्ली सरकार के फैसले सही या गलत? इसका आकलन LG नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि दिल्ली के दर्जे पर वह सैद्धांतिक व्यवस्था देगी।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 01 Dec 2017 11:40 AM (IST)Updated: Fri, 01 Dec 2017 11:54 AM (IST)
SC ने कहा- दिल्ली सरकार के फैसले सही या गलत? इसका आकलन LG नहीं कर सकते
SC ने कहा- दिल्ली सरकार के फैसले सही या गलत? इसका आकलन LG नहीं कर सकते

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली सरकार व उप राज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर चल रही लड़ाई पर बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि दिल्ली के दर्जे पर वह सैद्धांतिक व्यवस्था देगी। केंद्र ने जब दिल्ली सरकार के कई कथित गलत फैसलों को अदालत के समक्ष रखा तो बेंच का कहना था कि हमारे फैसले के बाद इनकी सुनवाई दूसरी बेंच करेंगी।

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बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार के फैसले सही हैं या गलत इसका आकलन उपराज्यपाल नहीं कर सकते। केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कई फैसले गलत तरीके से किए।

इनमें अतिथि अध्यापकों को नियमित करने के साथ मोहल्ला क्लीनिक शुरू करने व एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) में बिहार के अफसरों को समायोजित करने जैसे निर्णय भी शामिल हैं।

बेंच ने कहा कि वह किसी मामले विशेष पर विचार करने नहीं जा रहे। इनका निपटारा बाद में किया जा सकता है। केंद्र का तर्क था कि अगर दिल्ली सरकार के पास विशेष कार्यकारी शक्तियां भी हो तब भी इस तरह के निर्णय नहीं लिए जा सकते।

उनका कहना था कि एसीबी एक पुलिस स्टेशन है जो सीधे उप राज्यपाल की निगरानी में काम करता है। उन्होंने मंत्री के बंगले को पार्टी दफ्तर बनाने का मामला भी उठाया।

इस दौरान अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली सरकार के उस आदेश पर सवाल उठाया, जिसमें केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली व उद्योगपति मुकेश अंबानी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश जारी किया गया था। सिंघवी का सवाल था कि क्या राज्य सरकार को केंद्रीय मंत्री पर केस दर्ज कराने का अधिकार है?

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि संविधान के तहत व्यवस्था है कि दिल्ली से जुड़े मामले में उप राज्यपाल का दखल हो। उनका कहना था कि 96 फीसद मामलों में उप राज्यपाल दो से तीन दिनों के भीतर फाइलों को निपटा देते हैं।

वह चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच के उस सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि कानून बनाने का अधिकार दिल्ली विधानसभा के पास है और दिल्ली सरकार को केवल अपने निर्णय की सूचना उप राज्यपाल को देनी होती है।

मनिंदर सिंह का कहना था कि नेशनल केपिटल टेरीटरी ऑफ दिल्ली रूल्ज के मुताबिक दिल्ली सरकार को अपने हर निर्णय पर उपराज्यपाल की रजामंदी लेनी जरूरी है। उनका कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 239 एए की व्याख्या सही तरीके से करने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की उस याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला गलत है। सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।


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