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बढ़ते प्रदूषण पर सीपीसीबी सख्त, दिल्ली सरकार को कानूनी लपेटे में लेने की तैयारी

सीपीसीबी के मुताबिक इस वक्त जो वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, उसकी वजह भी दिल्ली की अपनी परिस्थितियां हैं। अब पंजाब या हरियाणा में कहीं पराली नहीं जल रही है।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 05 Dec 2017 04:12 PM (IST)Updated: Tue, 05 Dec 2017 09:50 PM (IST)
बढ़ते प्रदूषण पर सीपीसीबी सख्त, दिल्ली सरकार को कानूनी लपेटे में लेने की तैयारी
बढ़ते प्रदूषण पर सीपीसीबी सख्त, दिल्ली सरकार को कानूनी लपेटे में लेने की तैयारी

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। वायु प्रदूषण के मुददे पर अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) भी दिल्ली सरकार को कानूनी लपेटे में लेने की तैयारी कर रहा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री व सॉलीसिटर जनरल से जल्द ही इस संबंध में सलाह मशविरा भी किया जाएगा।

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सीपीसीबी के अधिकारियों की मानें तो दिल्ली की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ऐसा करना जरूरी हो गया है। मालूम हो कि इससे पूर्व पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण-संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) भी दिल्ली सरकार के खिलाफ अवमानना का केस दायर करने की बात कह चुका है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स फिर से बढ़ना शुरू

दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स एक बार फिर से बढ़ना शुरू हो गया है। बादल छाए रहने और हवा की गति नहीं के बराबर होने के कारण बीते दो दिनों में यह बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंचन गई है। रविवार को फिरोजशाह कोटला मैदान में टेस्ट मैच के दौरान श्रीलंकाई खिलाड़ियों की परेशानी भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बनी।

प्रदूषण को थामने का कोई प्रयास नहीं

सीपीसीबी ने इसके लिए सीधे तौर पर दिल्ली सरकार एवं उसके द्वारा नियंत्रित दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को कठघरे में खड़ा किया है। अधिकारियों के मुताबिक सीपीसीबी के ऑनलाइन केंद्रीय नियंत्रण कक्ष पर अगले तीन से सात दिन तक के प्रदूषण पूर्वानुमान की रिपोर्ट उपलब्ध कराई जा रही है। इसके साथ-साथ सीपीसीबी अपनी 40 पेट्रोलिंग टीमों की जमीनी हकीकत बयान करने वाली रिपोर्ट भी डीपीसीसी को रोजाना भेजी जा रही है। बावजूद इसके बढ़ते प्रदूषण को थामने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।

अब पराली नहीं जल रही है

सीपीसीबी के मुताबिक इस वक्त जो वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, उसकी वजह भी दिल्ली की अपनी परिस्थितियां हैं। अब पंजाब या हरियाणा में कहीं पराली नहीं जल रही है। मौसमी उतार चढ़ाव एवं कोहरे का प्रभाव भी दिसंबर-जनवरी में तक लगातार बना ही रहेगा। बावजूद इसके दिल्ली सरकार और डीपीसीसी एकदम चिंतामुक्त (रिलेक्स) मुद्रा में नजर आ रहे हैं। लिहाजा, सीपीसीबी की पेशानी पर बल पड़ना स्वाभाविक है। सीपीसीबी अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट और संसद की भी चिंता सता रही है, जहां जवाब उन्हीं से मांगा जाएगा।

सभी प्रयास करके देख लिए गए हैं

सीपीसीबी के सदस्य सचिव ए. सुधाकर ने कहा कि सभी प्रयास करके देख लिए गए हैं, लेकिन दिल्ली सरकार और डीपीसीसी गंभीर रूख अख्तियार नहीं कर रही हैं। हम कहां तक जवाब देंगे? इसलिए कुछ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करनी ही होगी। जल्द ही पर्यावरण मंत्रालय और सॉलीसिटर जनरल से सलाह ली जाएगी।

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