पेशे से फिटनेस मॉडल बिंदिया मां बनने के बाद बनीं थीं बॉडी बिल्डर
मुझे चुनौती बहुत पसंद हैं, खुद से जंग लड़ी और खुद को यह साबित कर दिखाया।
नई दिल्ली (शुजाउद्दीन)। 'कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुएं की तरह हम पर्वतों से उड़ते हैं, ये कैचियां हमें उडऩे से खाक रोकेंगी, हम परों से नहीं, हौसलों से उड़ते हैं।' राहत इंदौरी का यह शेर हमारी बॉडी बिल्डर शेरनी बिंदिया शर्मा पर सटीक बैठता है। बिंदिया पेशे से तो फिटनेस मॉडल हैं, लेकिन पिछले एक वर्ष में उन्होंने पावर लिफ्टिंग में जो कर दिखाया है वह वाक्य में काबिले तारीफ है। वो भी जीवन की अग्निपरीक्षा के बाद।
जी हां, बिंदिया मां बनने के बाद बॉडी बिल्डर बनी हैं। महज एक साल में ही कड़ी मेहनत के पसीने से खुद को सींचकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली चार प्रतियोगिताओं में रजत पदक जीते। यही नहीं, इसी वर्ष अगस्त में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंदन में होने वाली वल्र्ड ब्यूटी फिटनेस फैशन (डब्ल्यू बीएफएफ) प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
बिंदिया देश में पहली महिला हैं, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इस प्रतियोगिता में 60 देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। इस प्रतियोगिता में बिंदिया प्रो कार्ड जीतकर खिताब तक पहुंची थीं।
इसी वर्ष जनवरी में उन्होंने मुंबई में आयोजित जेईआरएआई प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। वहीं बॉडी पावर की फिट फैक्टर प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया था।
बिंदिया कहती हैं कि महिलाओं को भले ही लोग पुरुषों के मुकाबले कमजोर समझते हों, लेकिन महिलाएं अगर एक बार कुछ ठान लें तो उस काम को करके ही दम लेती हैं।
मॉडलिंग से पहले थीं खिलाड़ी
बिंदिया का स्कूल और कॉलेज के समय से ही खेल के प्रति काफी लगाव था। वह 100 और 200 मीटर रेस, रिले, बास्केट बॉल जैसे खेल खेलने में काफी माहिर रही हैं। उनके पिता भी खिलाड़ी थे। कॉलेज तक खेलों में राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीते। उसके बाद मॉडलिंग शुरू कर दी और वहीं से बॉडी बिल्डिंग में करियर बनाने की राह तय की।
बेटी का भी यही सपना
बिंदिया शर्मा 36 वर्ष की हैं। जो इन दिनों दक्षिणी दिल्ली में रहती है। उनकी दो बेटियां मानिया (13) और प्रिशा (4) हैं। उनकी छोटी बेटी भी उनकी तरह बॉडी बिल्डर बनना चाहती है, जबकि बड़ी बेटी संगीत में अपना भविष्य बनाना चाहती है। वह अपना गुरु मुकेश सिंह गहलोत व रजत गोयल को मानती हैं।
महिलाओं के लिए मिसाल
बिंदिया कहती हैं कि अक्सर महिलाएं यह सोचती हैं कि मां बनने के बाद अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकती, तो ये सोचना बिल्कुल गलत है। अगर वह भी यही सोचती तो शायद आज बॉडी बिल्डर नहीं बन पाती। मेरी दो बेटियां है, उन्होंने एक बार को सोचा की मैं बॉडी बिल्डर नहीं बन सकती। लेकिन मुझे चुनौती बहुत पसंद हैं, खुद से जंग लड़ी और खुद को यह साबित कर दिखाया कि महिलाएं कमजोर नहीं होती जैसा की लोग सोचते हैं।
प्रतियोगिता के लिए बनी मांसाहारी बिंदिया बताती हैं कि मैं बचपन से शादी तक शाकाहारी रही, लेकिन जब बॉडी बिल्डर की राह पर चली तो मुझे मांसाहारी बनना पड़ा। शुरुआत में दिक्कतें आईं लेकिन अब जरूरत के लिए और कुछ हासिल करने के लिए आदतें तो बदलनी होती हैं।
महिलाओं को लाना चाहती हैं आगे
बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं काफी कम हैं। इसलिए मैं अपने जिम में युवतियों को स्पेशल ट्रेनिंग भी करवाती हूं। मैं चाहती हूं कि महिलाएं इस क्षेत्र में आकर देश का नाम रोशन करें।