Move to Jagran APP

केजरीवाल ने खत्म किया पंजाब में 'आप' का अस्तित्व, भारी पड़ीं ये गलतियां

केजरीवाल के फैसले से नाराज 'आप' के बागी विधायकों ने नई पार्टी बनाने को लेकर कानूनी सलाह लेनी शुरू कर दी है। उम्मीद है कि जल्द ही नई पार्टी के बारे में पता चल जाएगा।

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 07:10 PM (IST)Updated: Sun, 18 Mar 2018 11:50 AM (IST)
केजरीवाल ने खत्म किया पंजाब में 'आप' का अस्तित्व, भारी पड़ीं ये गलतियां
केजरीवाल ने खत्म किया पंजाब में 'आप' का अस्तित्व, भारी पड़ीं ये गलतियां

चंडीगढ़/नई दिल्ली [मनोज त्रिपाठी]। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने नशा तस्करी के आरोपों को लेकर बिक्रम मजीठिया से माफी मांगकर पंजाब में 'आप' का अस्तित्व ही तकरीबन खत्म कर दिया है। केजरीवाल के इस फैसले से नाराज 'आप' के बागी विधायकों ने नई पार्टी बनाने को लेकर कानूनी सलाह लेनी शुरू कर दी है। उम्मीद है कि एक-दो दिनों में नई पार्टी किस रूप में होगी इसका पता चल जाएगा।

loksabha election banner

'आप' में दरार

'आप' की राष्ट्रीय इकाई से अलग होकर 'आप' विधायक पंजाब में किसी नई पार्टी के बैनर तले एकत्र हो सकते हैं। दलबदल कानून के तहत कार्रवाई से बचने के लिए 'आप' के 15 विधायक एकमंच पर होने चाहिए। शुक्रवार की बैठक में 15 विधायकों की मौजूदगी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केजरीवाल के फैसले से बागी हुए विधायक दलबदल कानून के दायरे से बाहर होंगे।

केजरीवाल की नीतियों का विरोध

2014 में लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब में आम आदमी पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल के साथ हाथ मिलाकर प्रदेश में 'आप' के आने का रास्ता खोल दिया था। इसके चलते लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कहीं ज्यादा चार सीटों पर 'आप' के उम्मीदवार जीते थे। चुनाव जीतने के कुछ समय बाद ही धर्मवीर गांधी जैसे सांसदों ने केजरीवाल की नीतियों का डटकर विरोध शुरू कर दिया।

'आप' को विपक्ष में बैठना पड़ा

2017 तक पार्टी की प्रदेश में काफी पकड़ बन चुकी थी। नतीजतन पंजाब में सरकार बनाने का सपना देखते हुए केजरीवाल ने तत्कालीन संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर खुद के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित करनी शुरू कर दी थी। छोटेपुर के बाद गुरप्रीत घुग्गी के हाथ आई पार्टी की कमान और केजरीवाल के कट्टरपंथियों के साथ संबंधों को लेकर पंजाब के मतदाताओं ने 'आप' को जनादेश नहीं दिया। नतीजतन सरकार बनाने का सपना देखने वाली 'आप' को 20 विधायकों के साथ विपक्ष में बैठना पड़ा।

नई पार्टी की नींव

विधानसभा चुनाव में मतदान से कुछ ही समय पहले कथित आतंकी के घर पर रुकने के फैसले के बाद से केजरीवाल के खिलाफ पंजाब में शुरू हुई बगावत ने आखिरकार नशे के मामले में आरोप लगाने के बाद माफी मांगने से पार्टी का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है। शुक्रवार को विधायकों के बागी तेवरों ने नई पार्टी की नींव रख दी है। उम्मीद की जा रही है कि अब दलबदल कानून को लेकर राय लेने के बाद 'आप' विधायक नई घोषणा कर सकते हैं। 

यह भी पढ़ें: सदन में रहकर भी नदारद रहे केजरीवाल, विपक्ष की चीखें, मार्शल, सीलिंग पर भारी पड़ा पंजाब फैक्‍टर

केजरीवाल के पंजाब विरोधी फैसले

-विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले कट्टरपंथियों का समर्थन लेने की कोशिश

-चुनाव से कुछ दिन पहले कथित आतंकी के घर में रात्रि विश्राम करना

-पंजाब के हितों के मुद्दों की बजाय अपने हितों को देखना

-सुच्चा सिंह छोटेपुर को कनवीनर के पद से हटाना

-गुरप्रीत सिंह घुग्गी को भी कनवीनर के पद से हटाना

-भगवंत मान पर आंख मूंदकर भरोसा करना और प्रधान बनाना

-एडवोकेट एचएस फूलका को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटने देना

-पंजाब को समझे बिना दिल्ली से बैठकर पंजाब के फैसले लेना

-अकाली नेता बिक्रम मजीठिया से नशे को लेकर लगाए गए आरोपों पर माफी मांगना। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.