खाद्य सुरक्षा विधेयक पर विपक्ष ने गिनाई खामियां
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दैनिक जागरण द्वारा आयोजित यूथ पार्लियामेंट के मानसून सत्र में दूसरे दिन रा
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दैनिक जागरण द्वारा आयोजित यूथ पार्लियामेंट के मानसून सत्र में दूसरे दिन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक जैसा अहम विधेयक सदन में पेश किया गया। इस पर दिनभर बहस चली। रफी मार्ग स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित यूथ पार्लियामेंट में शहरी एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने विधेयक पेश किया लेकिन विपक्ष का समर्थन नहीं मिलने के कारण यह बिल पास नहीं हो सका।
संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की टीम में शामिल त्रिना और अभिजीत ने युवा सांसदों को संसद के नियम-कानून, संसद की गरिमा और विधेयक पेश करने व उस पर चर्चा करने की विधि के बारे में विस्तार से बताया। युवा संसद में स्पीकर की भूमिका निभा रहे अभिनव त्रिपाठी ने विधेयक पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों पर सत्ता पक्ष को मजबूती के साथ अपना पक्ष रखने का आदेश दिया। युवा सांसद अभिलाषा सहाय जिन्हें शहरी एवं ग्रामीण विकास मंत्री की जिम्मेदारी मिली हुई हैं, उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश किया। उन्होंने पहले इस विधेयक की पृष्ठभूमि के बारे में सदस्यों को बताया कि हम ऐसे देश में रहते हैं, जिसकी जनसंख्या के बहुत बड़े हिस्से को दो वक्त का खाना नसीब नहीं होता है और इन्हीं वजहों से काफी लोगों की मृत्यु हो जाती है। हमें अपने देश से कुपोषण और भूखमरी जैसी समस्याओं को दूर करना है और हमें ज्यादा महत्व ग्रामीण इलाकों में देना है।
विधेयक पेश होने के साथ ही विपक्ष ने सवालों की झड़ी लगा दी। विपक्ष में बैठी युवा सांसद मान्या सिंह ने कहा कि बेसहारा व्यक्ति और भूख से मरते हुए इंसान में क्या फर्क है। छह महीने में क्या सरकार देश से भूखमरी को खत्म कर पाएगी। वासवी तलवार ने कहा कि इस विधेयक में ग्रामीण क्षेत्र को ज्यादा महत्व क्यों दिया जा रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था शहरों की तरफ आ रही है, गांव के लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं तो फिर इस विधेयक का क्या फायदा। इस विधेयक को लागू करने के लिए दो हजार करोड़ रुपये कहां से लाएंगे। गांव में जो राशन की दुकानों से सामग्री मिलती है उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं होती है। विधेयक में सिर्फ गेहूं और चावल की बात की गई है। मिक्स ग्रेन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
विपक्ष द्वारा गिनाईं गई खामियों पर सत्ता पक्ष ने जवाब दिया लेकिन सत्ता पक्ष के जवाब से विपक्ष असंतुष्ट दिखा। सत्ता पक्ष की ओर से अभिलाषा सहाय ने कहा कि गांव से शहरों की तरफ पलायन जरूर हो रहा है लेकिन अभी भी हमारे देश का बहुत बड़ा हिस्सा गांवों में निवास करता है। हमें उनके लिए सोचना होगा।
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जानिए, क्या है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक
खाद्य सुरक्षा बिल की खासियत यह है कि खाद्य सुरक्षा कानून बन जाने से देश की दो तिहाई आबादी को सस्ता अनाज मिलेगा। विधेयक को लाभ प्राप्त करने वालों की प्राथमिकता वाले परिवार और सामान्य परिवारों में बाटा गया है। प्राथमिकता वाले परिवारों में गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले और सामान्य परिवारों में गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों को रखे जाने की बात कही गई है। ग्रामीण क्षेत्र में इस विधेयक के दायरे में 75 प्रतिशत आबादी आएगी, जबकि शहरी क्षेत्र में इस विधेयक के दायरे में 50 प्रतिशत आबादी आएगी।
विधेयक में प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवारों को तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल और दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं उपलब्ध कराने की बात कही गई है। खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे के प्रावधानों के तहत देश की 63.5 प्रतिशत जनता को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
खाद्य सुरक्षा विधेयक के प्रावधान
- 63.5 फीसद आबादी को सस्ते दामों में अनाज प्रदान करने का प्रावधान
- कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए 1,10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने का प्रस्ताव
- ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत आबादी को इस विधेयक का लाभ दिया जाएगा
- शहरी इलाकों में कुल आबादी के 50 फीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी
- गर्भवती महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं, आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों और बूढ़े लोगों को पका हुआ खाना मुहैया करवाया जाएगा
- नया कानून लागू होने पर कम दाम में गेहूं और चावल पाना निर्धन लोगों का कानूनी अधिकार बन जाएगा
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संसद में विधायी प्रक्रिया
भारतीय संविधान ने वैधानिक विधि के लिए कुछ व्यवस्थाएं निश्चित की हैं। इन व्यवस्थाओं के अतिरिक्त वैधानिक प्रक्रिया के विषय में विस्तृत विवरण लोकसभा और राज्यसभा के विधि नियमों में अंकित है। संवैधानिक व्यवस्थाओं के अनुसार वित्तीय विधेयक को छोड़कर कोई भी विधेयक संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। दोनों सदनों में से पारित होने के बाद ही विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। दोनों सदनों में विधेयक के संबंध में मतभेदों को दूर करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जा सकता है। प्रत्येक विधेयक को संसद में पास होने के लिए तीन चरणों से गुजरना आवश्यक है।
संसद में पेश किये जाने वाले विधेयकों के प्रकार -
सरकारी विधेयक और गैर-सरकारी विधेयक। सरकारी विधेयक मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा पेश किये जाते हैं, जबकि गैर-सरकारी विधेयक अन्य सदस्यों द्वारा पेश किए जाते हैं, जो कि मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं होते हैं।
विधेयक की तैयारी
संसद में प्रस्तुत किए जाने वाले अधिकाश विधेयक सरकारी होते हैं इसलिए इनकी तैयारी सरकारी स्तर पर ही होती है। जिस विभाग से संबंधित विधेयक प्रस्तुत किया जाता है, उस विभाग का मंत्री अपने विभाग के उच्चाधिकारियों की सहायता से विधेयक की रूपरेखा तैयार करता है। यदि विधेयक का प्रभाव अन्य विभागों पर भी पड़ता है तो संबंधित विभागों में संवैधानिक शका होने की स्थिति पर कानून मंत्री तथा महान्यायवादी से विचार-विमर्श किया जाता है ताकि वैधानिक त्रुटियों को दूर किया जा सके। इसके बाद विधेयक की रूपरेखा पर मंत्रिपरिषद गंभीर विचार-विमर्श करके संबंधित मंत्री को विधेयक को अंतिम रूप देने के लिए कहती है। विधेयक को अंतिम रूप देने के बाद मंत्रिपरिषद उस विधेयक को सदन में प्रस्तुत करने की स्वीकृति दे देती है। विधेयक की तैयारी में यह विधि केवल सरकारी विधेयक पर ही लागू होती है।