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अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में अब भी फंसा है पेंच

राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली : दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 50 लाख लोगों को इनके नियमि

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Sep 2017 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 14 Sep 2017 03:00 AM (IST)
अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में अब भी फंसा है पेंच
अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने में अब भी फंसा है पेंच

राज्य ब्यूरो,नई दिल्ली :

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दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 50 लाख लोगों को इनके नियमित होने का इंतजार है। सत्ता में आने के तीन साल बाद भी आप सरकार एक भी कॉलोनी को नियमित नहीं कर सकी। इनमें अब तक संपत्ति की रजिस्ट्री का कार्य भी शुरू नहीं हो सका है। इनको नियमित करने के मामले में अब भी पेंच फंसा हुआ है। केंद्र सरकार ने प्रत्येक कॉलोनी के प्लॉटों के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी है। इस बारे में दिल्ली सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं। दिल्ली सरकार का कहना है कि ऐसा करना संभव नहीं है, जबकि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि बगैर पूरी जानकारी मिले इन कॉलोनियों को नियमित करना संभव नहीं है। केंद्र सरकार इस बारे में दिल्ली सरकार के सहयोग न करने की बात भी कह रही है। ऐसे में इन कॉलोनियों को नियमित करना आसान नहीं है।

बता दें कि दिल्ली में अनियमित कॉलोनियों की संख्या 1649 से बढ़कर अब 1797 हो चुकी है। दिल्ली सरकार ने न तो इन कॉलोनियों के अलग-अलग प्लॉट की जानकारी जुटाने का कार्य शुरू किया है और न ही इनकी सीमाओं को निर्धारित करने का काम किया है। आप सरकार ने अब इनमें से 893 अनियमित कॉलोनियों का टोटल स्टेशन मशीन (टीएसएम) सर्वे करने के लिए कार्य आवंटित किया है, जबकि 904 अनियमित कॉलोनियों का टीएसएम सर्वे के लिए अब तक कार्य आवंटित ही नहीं हुआ है। यह सर्वे कार्य इतना समय ले रहा है कि इस कार्य के पूरा होने में ही तीन साल से अधिक समय लगने की संभावना है।

इस कार्य के लिए सरकार ने करीब दो वर्ष पहले टीएसएम सर्वे के लिए एसकेपी प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड व प्राइम मेरीडियन कंपनी को हायर किया था। दोनों एजेंसियों को राजस्व विभाग की मदद से सर्वे के काम को पूरा करना है, लेकिन दो वर्ष में 50 अवैध कॉलोनियों के ही सर्वे हो पाए हैं। भविष्य में यह कार्य तेज होने के आसार नहीं हैं।

क्या फंसा है पेंच

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इन कॉलोनियों को नियमित करने की दिशा में दिल्ली सरकार से कुछ जानकारी मांगी थी। इसमें कॉलोनियों की सीमा निर्धारित करने के लिए सभी प्लाटों की अलग-अलग जानकारी मांगी गई है। इसमें अनियमित कॉलोनी का नाम, वर्ग मीटर में एरिया, आबादी, अगर सरकारी जमीन पर है तो उसका उल्लेख, प्रत्येक कॉलोनी में प्लाटों की संख्या, जिला का नाम, किस निगम या स्थानीय निकाय के अंतर्गत है, इसकी जानकारी देना आदि शामिल है। कॉलोनी के सर्वे की रिपोर्ट और 1 जनवरी-2015 तक बिल्टअप एरिया का फीसद आदि की जानकारी देने को कहा गया है। अगर प्लॉट को छोड़ भी दें तो बाकी की जानकारी भी टीएसएम सर्वे के बिना देना संभव नहीं है।

एक भी कॉलोनी में नहीं शुरू हो सका रजिस्ट्री का कार्य

आप सरकार ने 1 अप्रैल 2015 को दावा किया था कि इन कॉलोनियों में संपत्ति की रजिस्ट्री की अनुमति दे दी जाएगी। मगर न अब तक इन कॉलोनियों में रजिस्ट्री शुरू हुई है और न ही इनकी सीमाएं ही निर्धारित हो सकी हैं।

मुख्य बिंदु

अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए घोषणा से पहले इन तथ्यों पर काम होना भी जरूरी :

- सबसे पहले घर के मालिकों को कानूनन मालिकाना हक देने से पहले भूमि के उपयोग से संबंधित कानून में परिवर्तन करना जरूरी है।

-दिल्ली में ज्यादातर अनधिकृत कॉलोनिया डीडीए और एएसआइ की भूमि के अलावा कृषि व वन भूमि पर बसी हैं। इन एजेंसियों के साथ भी इनकी जमीन से संबंधित उपनियमों में परिवर्तन किया जाना जरूरी है। -सरकार ने ऐसा कोई रोडमैप भी तैयार नहीं किया है, जिससे यह लगे कि अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की उसकी घोषणा शीला दीक्षित सरकार से अलग है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की थी मगर कुछ नहीं हुआ।

2008 में सरकार ने 1639 अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की बात कही थी। 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले 1239 कॉलोनियों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। उस वक्त नियम था कि 2002 में इनका बिल्टअप एरिया 10 फीसद तो 2007 में 50 फीसद होना चाहिए।


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