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इकलाख की मदद के लिए हिंदुओं ने जुटाए थे 70 हजार रुपये

28 सितंबर को जब दादरी के बिसाहड़ा गांव में चंद दहशदगर्द इंसानियत का कत्ल करने पर उतारू थे, तो वहीं बहुसंख्यक आबादी को गांव की गंगा-जमुना तहजीब की फिक्र थी। बिसाहड़ा कांड का एक सच यह भी है कि इकलाख के घायल होने पर हिंदुओं ने इलाज के लिए 70

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2015 10:47 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2015 01:39 PM (IST)
इकलाख की मदद के लिए हिंदुओं ने जुटाए थे 70 हजार रुपये

नोएडा (ललित विजय)। 28 सितंबर को जब दादरी के बिसाहड़ा गांव में चंद दहशदगर्द इंसानियत का कत्ल करने पर उतारू थे, तो वहीं बहुसंख्यक आबादी को गांव की गंगा-जमुना तहजीब की फिक्र थी। बिसाहड़ा कांड का एक सच यह भी है कि इकलाख के घायल होने पर हिंदुओं ने इलाज के लिए 70 हजार रुपये तत्काल एकत्र किए थे।

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लोगों को सता रही थी इलाज की फिक्र

हादसे की सूचना लगते ही इंसानियत को मोर्चा पूरी तरह से गांव के बुजुर्गो ने संभाल लिया था। सबसे पहले उन्हें इकलाख और उनके बेटे दानिश के इलाज की फिक्र सताने लगी थी। बुजुर्गों की एक आवाज पर ग्रामीणों ने मिलकर 70 हजार रुपये इकट्ठा कर लिए।

पुलिस को दिए 30 हजार रुपये

एक लाख रुपये एकत्र होने के बाद अस्पताल में इलाज के लिए इकलाख और बेटे दानिश को ले जाया गया। पैसे के अभाव में इलाज में दिक्कत न आए, इसके लिए गांव के लोगों ने दोनों को कैलाश अस्पताल ग्रेटर नोएडा में भर्ती कराया।

युवा वर्ग हो गया हैवान!

गांव के लोगों ने बताया कि मंदिर से गोवध की घोषणा के बाद युवा वर्ग इकलाख के घर पहुंच गया, जहां मारपीट शुरू हो गई। इसकी जानकारी गांव के बुजुर्गों को हुई। वह तत्काल मौके पर पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले इकलाख के परिवार की महिलाओं को सुरक्षित किया।

युवाओं को मारपीट करने से रोका

घटना की सूचना मिलते ही बुजुर्ग सतर्क हो गए थे। इसी बीच जारचा पुलिस मौके पर आ गई। इकलाख और उसका बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके इलाज के लिए पैसे की जरूरत थी। पुलिस वालों ने मिलकर पैसे एकत्र किए। उनके पास तीस हजार रुपये ही थे। इतने रुपये में इलाज नहीं हो सकता था।

किसी ने दिए तीन तो किसी ने सात हजार

गांव के संजय राणा, रविंद्र, विजय समेत अन्य लोगों ने तत्काल अपने-अपने घर से पैसे मंगाए। किसी ने तीन हजार, किसी ने पांच हजार और किसी ने सात हजार रुपये किए। कुल मिलाकर सत्तर हजार रुपये एकत्र हुए। पुलिस वाले और लोगों के मिलाकर एक लाख रुपये एकत्र हो गए।

इसके बाद भी इलाज में पैसे की कमी रोड़ा न बने, इसके लिए गांव के लोगों ने कैलाश अस्पताल में बात की, फिर
दोनों को कैलाश अस्पताल भेजा गया।

गांव के बुजुर्गों की वजह से इकलाख को ले जा सकी पुलिस

इकलाख को गांव के युवा मारने पर उतारू थे। वह पुलिस को उसे ले जाने देना नहीं चाहते थे। गांव के बुजुर्गों ने युवाओं को ऐसा करने से रोका। एसएसपी किरण एस ने भी माना कि गांव के बुजुर्गों का इकलाख और दानिश को इलाज के लिए ले जाने में बहुत सहयोग मिला था।


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