'अल्जाइमर व डिमेंशिया रोकने के लिए राष्ट्रीय नीति जरूरी'
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : विश्व अल्जाइमर दिवस की पूर्व संध्या में एआरडीएसआइ द्वारा एक कार्यक्रम अ
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : विश्व अल्जाइमर दिवस की पूर्व संध्या में अल्जाइमर्स एंड रिलेटेड डिसॉर्डर्स सोसाइटी ऑफ इंडिया (एआरडीएसआइ) द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान एआरडीएसआइ के दिल्ली चैप्टर ने कहा कि डिमेंशिया का अगला स्टेज अल्जाइमर का रोग है और भारत डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि इसके मरीजों का ख्याल रखने और इनसे जुड़ी भ्रातियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रणनीति बनाई जाए।
एम्स न्यूरोलॉजी विभाग की प्रोफेसर व एआरडीएसआइ दिल्ली चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि भारत में अल्जाइमर व डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के लिए बेहद स्पष्ट और परिभाषित राष्ट्रीय नीति लागू किए जाने की जरूरत है, क्योंकि भारत में बहुत अधिक संख्या में लोग इस रोग से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस रोग का कोई ईलाज नहीं है, जबकि इस रोग से पीड़ित लोगों को अत्यधिक देखभाल की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि अल्जाइमर एक साइलेट कैंसर है। इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय इसके प्रति जागरूकता है, अगर शुरुआती लक्षण में इसका उपचार कराया जाए तो अल्जाइमर को 30 फीसद तक कम और छह वर्ष तक पीछे किया जा सकता है।
एआरडीएसआइ दिल्ली अध्याय के कार्यकारी निदेशक वीके खन्ना ने इस दौरान कहा कि अल्जाइमर के लिए लागू की जाने वाली राष्ट्रीय नीति में यह परिभाषित किया जा सकता है कि भारत में कितने वृद्धाश्रम खोले जाने की जरूरत है और वहा बुजुर्गो की देखभाल किस प्रकार की जाए। इस तरह की पहल के लिए सरकारी मदद की भी बहुत जरूरत है, जिसकी कमी अभी देखी जा रही है।