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हरियाली के नाम पर सरकारी पैसों की हो रही फिजूलखर्ची

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : बारिश का मौसम बीत जाने के बाद भी उद्यान विभाग की नींद नहीं खु

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Sep 2017 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 13 Sep 2017 09:18 PM (IST)
हरियाली के नाम पर सरकारी पैसों की हो रही फिजूलखर्ची
हरियाली के नाम पर सरकारी पैसों की हो रही फिजूलखर्ची

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : बारिश का मौसम बीत जाने के बाद भी उद्यान विभाग की नींद नहीं खुली है। हरियाली को लेकर तमाम वादे फीके पड़ते नजर आ रहे हैं। पहले से लेकर अब तक स्थिति में किसी भी तरह का कोई सुधार नहीं देखने को मिला है। अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और हरित संरक्षित क्षेत्र धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब पूरी तरह उजाड़ होने की कगार पर पहुंच गया है। सिवाय आश्वासन के विकास की दिशा में कोई काम होता नजर नहीं आ रहा है।

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पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए आज से लगभग डेढ़ दशक पहले फ्लाईओवर के नीचे के हिस्से को पेड़-पौधे लगाने के लिए संरक्षित किया गया था। इसके लिए लाखों- करोड़ों रुपये का खर्च भी किया गया, लेकिन आज आलम यह है कि यहां हरियाली के नाम पर एक पत्ता तक नहीं है। जिस जगह को हरियाली के लिए संरक्षित किया गया था आज वह हिस्सा उजाड़ पड़ा है। सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए कार फ्री डे, पेड़ लगाओ आदि जैसे काफी प्रयास कर चुकी है, लेकिन विभाग के अधिकारियों की सुस्ती के चलते हरित क्षेत्र कूड़े के ढेर में तब्दील हो गए हैं। कई जगह तो आकर्षक बनाने के लिए फ्लाईओवर के नीचे लैंडस्कै¨पग तक की गई, लेकिन वह हिस्सा भी इस लापरवाही से अछूता नहीं है। हरियाली से पीछा छुड़ाने के लिए डिवाइडर पर क्रंकीट की परतें बिछा दी गई हैं। ये हालात क्षेत्र की छवि पर भी काफी गलत प्रभाव डालते हैं और साथ ही सरकारी पैसों की फिजूलखर्ची को भी दिखाते हैं।

डाबड़ी फ्लाईओवर के नीचे हरित संरक्षित क्षेत्र में सिवाय गंदगी, धूल व आवारा पशु के जमावड़े के कुछ नजर नहीं आता है। हवा के साथ धूल के कण राहगीरों को परेशान करते हैं। वहीं आवारा पशु कई बार चालक के लिए अवरोधक साबित हो जाते हैं। यह स्थिति एकाध दिन से नहीं बल्कि कई सालों से बनी हुई है। इस दिशा में किसी भी अधिकारी व पर्यावरण प्रेमी का कोई ध्यान नहीं है।

वहीं पंखा रोड पर बना सेंट्रल वर्ज महज सड़क के दो हिस्सों को विभाजित करने वाली छोटी दीवार बनकर रह गई है। जिस जगह को हरियाली के लिए संरक्षित किया गया था, उस जगह को कूड़े के ढेर में तब्दील कर दिया गया है। सेंट्रल वर्ज के दोनो हिस्सों में लगे लोहे के ग्रिल भी धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं। सेंट्रल वर्ज पर जो पेड़ बचे हैं वे भी पानी न मिलने के कारण सूख रहे हैं। आलम यह है कि सेंट्रल वर्ज का हिस्सा अब आवारा पशुओं का बसेरा बन गया है। द्वारका सेक्टर एक फ्लाईओवर के नीचे लैंडस्के¨पग का कार्य चल रहा है, लेकिन फ्लाईओवर के आसपास बने हरित संरक्षित क्षेत्र की हालात भी काफी खस्ता है। द्वारका पालम फ्लाईओवर के नीचे की बात करें तो यहां कुछ हिस्से में स्थानीय लोगों ने मिलकर हरियाली के लिए अच्छा कार्य किया है, लेकिन शेष भाग गंदगी की चपेट में है। नजफगढ़ रोड का रुख करें तो यहां कुछ हिस्से पर कंक्रीट की परत है तो वहीं शेष हिस्सा गंदगी से पटा पड़ा है। लाखों के खर्च के बाद, लापरवाही के कारण यह स्थिति लगातार बनी हुई है।


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