विधायकी जाने के बाद भी बने हैं मंत्री, ये है दिल्ली की 'अजब सियासत का गजब खेल'
एलजी के अभिभाषण के दौरान गहलोत की उपस्थिति का भाजपा विधायकों ने विरोध किया था। भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार के इस कृत्य के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
नई दिल्ली [जेएनएन]। लाभ के पद मामले में विधानसभा की सदस्या खो चुके नजफगढ़ के पूर्व विधायक कैलाश गहलोत अब भी मंत्री बने हुए हैं। इससे विपक्ष नाराज है। उसका कहना है कि मुख्यमंत्री इन्हें गैरकानूनी ढंग से विधानसभा में बनाए रखना चाहते हैं। भाजपा विधायकों ने शुक्रवार को भी इसका विरोध किया था। सोमवार को भी यह विरोध जारी रहेगा। वहीं, इसकी शिकायत राष्ट्रपति, उपराज्यपाल और गृहमंत्री से भी की जाएगी।
अदालत का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा
नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार के इस गैर कानूनी कृत्य के खिलाफ अदालत का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। शुक्रवार को उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान गहलोत की उपस्थिति का भाजपा विधायकों ने विरोध किया था।
विरोध को दबाया जा रहा है
गुप्ता का कहना है कि जायज विरोध पर ध्यान देने के बजाय भाजपा विधायकों को मार्शल द्वारा सदन से बाहर निकाल दिया गया था। सरकार बहुमत और सत्ता बल के सहारे गहलोत को बनाए रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 के अनुसार यदि कोई मंत्री, जो निरंतर छह माह तक विधानसभा का सदस्य नहीं है वह अपने पद पर नहीं रह सकेगा।
लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने वाला रवैया
नियमावली में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया सदस्य छह महीने तक मंत्री पद पर बना रह सकता है। सरकार का रवैया लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने वाला है। पिछले दिनों भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने इस मामले में उपराज्यपाल को पत्र भी लिखा था।
यह भी पढ़ें: गुस्से में 'आप' के कार्यकर्ता, कपिल बोले- जेल जाने के डर से केजरीवाल ने मांगी माफी