ODD-EVEN से राजधानी में प्रदूषण घटा पर दिल्ली सरकार का नुकसान बढ़ा
अभी परिवहन विभाग के दो डिपो ने ही जानकारी दी है। यदि सभी डिपो से जानकारी मिलेगी तो नुकसान का आंकड़ा और बढ़ सकता है। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए इस वर्ष 1 जनवरी से 15 जनवरी तक सम-विषम फॉर्मूला लागू किया था।
नई दिल्ली (संजय सलिल)। जनवरी में लागू किए गए सम (इवन)-विषम (ऑड) फॉर्मूले से दिल्ली में भले ही प्रदूषण कम हुआ हो, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर सरकार के लिए यह घाटे का सौदा साबित हुआ है।
ODD-EVEN का कमाल, दुनिया के 50 महान नेताओं में शुमार हुए केजरीवाल
इस योजना में परिवहन विभाग को निजी बसों से जो आय प्राप्त हुई, उससे कई गुना ज्यादा राशि उन बसों के किराये के रूप में चुकानी पड़ी। सूचना के अधिकार कानून (आरटीआइ) के तहत यह जानकारी दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग से मिली है।
IB के हवाले से केजरी का खुलासा- 'चल रही AAP सरकार को गिराने की साजिश'
अभी परिवहन विभाग के दो डिपो ने ही जानकारी दी है। यदि सभी डिपो से जानकारी मिलेगी तो नुकसान का आंकड़ा और बढ़ सकता है। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए इस वर्ष 1 जनवरी से 15 जनवरी तक सम-विषम फॉर्मूला लागू किया था।
सम तारीख में सम नंबर व विषम तारीख में विषम नंबर के वाहनों को चलाने की अनुमति थी। लोगों को परेशानी न हो, इसके लिए परिवहन विभाग ने उक्त अवधि के लिए पर्यावरण बस सेवा बहाल की थी। सीएनजी से चलने वाली निजी कंपनी व निजी स्कूलों की बसों को विभाग ने किराए पर लिया था।
इनके परिचालन की जिम्मेदारी डीटीसी को दी गई थी। फेडरेशन ऑफ नरेला के महासचिव सुंदर लाल खत्री ने आरटीआइ के माध्यम से जानकारी मांगी थी कि जनवरी में सम-विषम फॉर्मूले के दौरान कितनी निजी बसों की सेवा ली गई थी और उनसे कितनी आमदनी हुई।
इन बसों को सरकार को किराए के रूप में कितनी राशि चुकानी पड़ी। जवाब में दिल्ली परिवहन निगम के रोहिणी डिपो नंबर-2 व नरेला डिपो ने जो जानकारी दी, उससे पता चलता है कि इन बसों से प्राप्त आय के मुकाबले किराए के रूप में ज्यादा राशि दी गई।