2002 गुजरात व 84' दिल्ली दंगों में फर्क जताने पर कन्हैया से नाराज हुए सिख
सिख विरोधी दंगे को लेकर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार द्वारा दिए गए बयान से सिखों में नाराजगी है। उनका कहना है कि सिखों के कत्लेआम के लिए कांग्रेस व उसके नेता जिम्मेदार हैं। उन्हें बचाने के लिए कन्हैया गलत बयानबाजी कर रहा है।
नई दिल्ली। सिख विरोधी दंगे को लेकर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार द्वारा दिए गए बयान से सिखों में नाराजगी है। उनका कहना है कि सिखों के कत्लेआम के लिए कांग्रेस व उसके नेता जिम्मेदार हैं। उन्हें बचाने के लिए कन्हैया गलत बयानबाजी कर रहा है।
वह कह रहा है कि 1984 का सिख विरोधी दंगा इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उन्मादी भीड़ की कार्रवाई थी। यह सिखों के जख्म पर नमक छिड़कने जैसा है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कहा कि कन्हैया नासमझ तथा कांग्रेस समर्थक है।
उसका जन्म 1984 के बाद हुआ है। उसे मालूम होना चाहिए कि विश्व की एकमात्र विधवा कॉलोनी तिलक विहार बनने का मूल कारण राजीव गांधी हैं।
1984 में उन्मादी भीड़ ने कत्लेआम किया था तो सजन कुमार, जगदीश टाइटलर, एचकेएल भगत तथा धर्मदास शास्त्री उस उन्मादी भीड़ का हिस्सा थे या नहीं यह भी साफ करना चाहिए। कन्हैया की तुलना शहीद भगत सिंह से करना उनका अपमान है।
डीएसजीपीसी ने केंद्र द्वारा काली सूची में शामिल 36 सिखों के नाम हटाने तथा दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सेंसर बोर्ड को फिल्म संता-बंता की मान्यता पर पुनर्विचार करने के दिए गए आदेश का स्वागत किया है।
काली सूची में शामिल सिखों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने राजनीतिक मोर्चे पर लड़ाई लड़ी है।