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सियासी पिच पर ऑलराउंडर तेजस्वी की पारी शुरू

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व राबड़ी देवी के छोटे सुपुत्र तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री की शपथ ली है। राजनीति में नए खिलाडी तेजस्वी की पहचान मंझे हुए खिलाड़ी के तौर पर भी रही है।

By Amit MishraEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2015 08:34 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2015 09:07 PM (IST)
सियासी पिच पर ऑलराउंडर तेजस्वी की पारी शुरू

नई दिल्ली [शैलेन्द्र सिंह]। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व राबड़ी देवी के छोटे सुपुत्र तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री की शपथ ली है। राजनीति में नए खिलाडी तेजस्वी की पहचान मंझे हुए खिलाड़ी के तौर पर भी रही है।

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दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में महज 14 साल की उम्र में कोचिंग के लिए पहुंचे तेजस्वी को जानने वाले उन्हें जमीन से जुड़े सामान्य खिलाड़ी के तौर पर ही पहचानते हैं। अक्सर टीम के सदस्यों में यही चर्चा होती थी कि लालू प्रसाद यादव का बेटा होने के बावजूद तेजस्वी में जरा भी अहम देखने को नहीं मिलता। क्रिकेट के क्षेत्र में तेजस्वी से जुड़े ये विचार हैं उनके कैप्टन व साथी रहे विवेक राजदान के।

विवेक बताते हैं, मेरी मुलाकात तेजस्वी से क्रिकेट ग्राउंड पर ही हुई थी और नेशनल स्टेडियम में वह मेरी ही टीम का सदस्य हुआ करता था। तेजस्वी बेहद व्यवहार कुशल थे और हमेशा क्रिकेट की बारीकियों को गंभीरता के साथ सीखते थे। यही कारण था कि टीम में उन्हें ऑफ स्पिन बॉलर, बल्लेबाज और उम्दा क्षेत्र रक्षक के तौर पर पहचान मिली।

विवेक अमेरिका में हुए एक क्रिकेट मैच का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि पहली बार देश से बाहर खेलने गए तेजस्वी ने जिस तरह से दबाव में बेहतर प्रदर्शन किया, वह हैरान करने वाला था। मैच का अंतिम ओवर था और विरोधी टीम को एक ओवर में जीत के लिए आठ रनों की दरकार थी। मैंने अन्य सदस्यों के ऐतराज के बावजूद तेजस्वी को बॉल दी और उन्होंने भी अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन करते हुए पूरे ओवर में मात्र पांच रन ही दिए। इस तरह हम ये महत्वपूर्ण मैच जीत गए।

तेजस्वी हैं परिवार के तरूण

तेजस्वी को परिवार में तरूण के नाम से पहचाना जाता है। टीम में भी लोग उन्हें इसी नाम से पुकारते थे। विवेक बताते हैं कि अमेरिका में जब हम खेलने गए थे तो वापसी के समय फ्लाइट ओवरलोड होने के चलते हमें दो दिन के लिए वहीं रुकना पड़ा। उस दौरान तेजस्वी को करीब से जानने का मौका मिला। कहीं भी सो जाना, कुछ भी खा लेना तेजस्वी की खूबी थी। उनकी ओर से कभी किसी तरह की डिमांड देखने को नहीं मिली, जो सबको उपलब्ध था, वह उन्हें भी स्वीकार था।


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