Move to Jagran APP

संकट में केजरीवाल: दिल्‍ली में मध्यावधि चुनाव के संकेत, जानिए क्‍या है कारण

चुनाव आयोग के फैसले के बाद दिल्ली में मध्यावधि चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। बताया जा रहा है कि एक-दो सुनवाई के बाद आयोग अपना फैसला राष्ट्रपति को सौंप देगा।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 08:32 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 10:53 AM (IST)
संकट में केजरीवाल: दिल्‍ली में मध्यावधि चुनाव के संकेत, जानिए क्‍या है कारण
संकट में केजरीवाल: दिल्‍ली में मध्यावधि चुनाव के संकेत, जानिए क्‍या है कारण

नई दिल्ली (जेएनएन)। लाभ का पद लेकर फंसे आम आदमी पार्टी (AAP) के 21 विधायकों को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग लाभ के पद वाले मामले में फंसे आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ सुनवाई जारी रखेगा। ऐसे में चुनाव आयोग के फैसले के बाद दिल्ली में मध्यावधि चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। बताया जा रहा है कि एक-दो सुनवाई के बाद आयोग अपना फैसला राष्ट्रपति को सौंप देगा।

loksabha election banner

वहीं, आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से यह मामला खत्म करने की गुहार लगाई थी। गौरतलब है कि प्रशांत पटेल नामक व्यक्ति ने आप के 21 एमएलए के खिलाफ लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग में याचिका दायर की थी। हालांकि आयोग ने विधायक जरनैल सिंह के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी थी।

चुनाव आयोग ने आदेश में कहा कि आयोग का स्पष्ट मत है कि एमएलए 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 के दौरान ‘डी फैक्टो’ संसदीय सचिव थे।

याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि चुनाव आयोग में चल रहे मामले में अदालत के फैसले का कोई असर नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि ये विधायक उच्च न्यायालय द्वारा उनकी नियुक्ति रद किए जाने तक इन पदों का लाभ ले रहे थे।

यह भी पढ़ेंः लाभ के पद मामले में भाजपा ने 'आप' को घेरा, विधायकों का मांगा इस्तीफा

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने आठ सितंबर 2016 को न सिर्फ आप के विधायकों की संसदीय सचिव के रूप में नियुक्ति पर रोक लगा दी थी, बल्कि इन पदों के सृजन को भी खारिज कर दिया था।

बता दें कि 13 मार्च 2015 को आप सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने का फैसला किया। 19 जून 2015 को युवा वकील प्रशांत पटेल ने इसके खिलाफ राष्ट्रपति को याचिका दी थी।

इसके बाद 24 जून को आनन-फानन में सरकार ने दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति लिए बिना संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से अलग करने का फैसला किया। इसके बाद राष्ट्रपति ने संसदीय सचिव के मामले को चुनाव आयोग के पास भेज दिया।

चुनाव आयोग ने महीनों इस पर सुनवाई की। इसी बीच हाई कोर्ट ने एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए संसदीय सचिव के पद को गैरकानूनी घोषित कर दिया।

यह बन रही संभावना

बताया जा रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार और अफसरों पर पर काम न करने देने का आरोप लगाकर सीधे मध्यावधि चुनाव कराने का जोखिम ले सकते हैं। माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो इस साल के आखिर तक चुनाव हो सकता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.