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दिल्ली की हवेलियों में फिर से सुनाई देगी शाहजहांनाबाद की धड़कन

शाहजहांनाबाद की पुरानी शानोशौकत और संस्कृति को जल्दी ही लोग करीब से देख सकेंगे। पुरानी दिल्ली में जर्जर हो चुकी हवेलियों को सहेजने का काम शुरू हो गया है। संरक्षण के बाद इन हवेलियों में शाहजहांनाबाद की रवायतों से जुड़ी कई चीजें देखने को मिलेंगी।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2015 08:29 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2015 08:56 AM (IST)
दिल्ली की हवेलियों में फिर से सुनाई देगी शाहजहांनाबाद की धड़कन

नई दिल्ली (विजयालक्ष्मी)। शाहजहांनाबाद की पुरानी शानोशौकत और संस्कृति को जल्दी ही लोग करीब से देख सकेंगे। पुरानी दिल्ली में जर्जर हो चुकी हवेलियों को सहेजने का काम शुरू हो गया है। संरक्षण के बाद इन हवेलियों में शाहजहांनाबाद की रवायतों से जुड़ी कई चीजें देखने को मिलेंगी।

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खासतौर पर पर्यटकों के लिए सांस्कृतिक केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहां पुरानी दिल्ली की गंगा-जमुनी तहजीब को लोग करीब से देख सकेंगे। राज्यसभा सदस्य विजय गोयल ने भी धर्मपुरा में एक हवेली का संरक्षण का काम शुरू किया है।

हवेली में लगे काठ की नक्काशी वाले दरवाजे, चौखट, झरोखे, चबूतरा, छतरी इन सब पुरानी चीजों को सहेजकर, हवेली को पुराना रूप देने पर काम चल रहा है।

विजय गोयल का कहना है कि पर्यटकों को हवेली और इससे जुड़ी रवायतों के बारे में जानने की इच्छा तो होती है, लेकिन ऐसा कोई केंद्र नहीं होने के कारण वह पुरानी दिल्ली को जान नहीं पाते। पुरानी दिल्ली की शान कही जाने वाली हवेलियां अब लुप्त होने की कगार पर हैं।

सरकार, निगम व अन्य संस्थाओं द्वारा किए गए सर्वे में हवेलियों की संख्या बहुत कम हो गई है। सरकारी उपेक्षा के चलते न हवेली मालिक इन्हें सहेजने को तैयार हैं और न ही सिविक एजेंसियां। दस साल पहले चांदनी चौक में 750 हवेलियां थी, लेकिन आज यह संख्या शायद ही 100 के ऊपर हो।

लोग हवेलियों में मकान बना रहे हैं और निगम चुपचाप देख रहा है। कागजों में कई हवेलियां का वजूद है, लेकिन असलियत में वहां अब कई मंजिला फ्लैट बन गए हैं। गोयल का कहना है कि हवेलियों और दिल्ली की विरासत के लिए जिनका दिल धड़कता है, बस वही इसे सहेज कर रखना चाहते हैं।

इसमें भी वही ऐसा कर पाते हैं, जिनके पास पैसा है। हवेली को सहेज कर दो मकसद पूरे किए जा सकते हैं। काफी संख्या में पर्यटक पुरानी दिल्ली में शाहजहांनाबाद देखने आते हैं, लेकिन यहां उन्हें बस झूलते बिजली के तार, सकरी गलियां और गंदगी ही देखने को मिलती है।

खाने पीने की भी चीजें वैसी नहीं रही, जैसे पहले थीं। हवेली में शाहजहांनाबाद की रवायत को दर्शाने के लिए केंद्र विकसित किया जा रहा है। पुरानी दिल्ली की तहजीब, रहन-सहन, कव्वाली, खानपान, तीज-त्योहार, रवायत को महसूस करने के लिए लोगों को यहां ठहराने की भी व्यवस्था की जाएगी। इससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।


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