शायरी के रंगों में रंगी पाठकों की दुनिया
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : साहित्य की दुनिया अनोखी है। कहानियों के किरदार पाठक को अपनी जिंदगी के इर्द-गिर्द ही महसूस होते हैं। वहीं, कविताएं सहज शब्दों में हमें जिंदगी की सच्चाइयों से रूबरू कराती हैं, लेकिन बात जब गजलों और गीतों की आती है तो इन्हें पढ़ने वाले को कुछ रूहानी सा महसूस होता है और वो खुद-ब-खुद इनमें डूबता चला जाता है।
गजलों के प्रति पाठकों का यह झुकाव प्रगति मैदान में आयोजित 50वें विश्व पुस्तक मेले में भी नजर आ रहा है। गजलों व गीतों की किताबों को हर वर्ग का पाठक पसंद कर रहा है। सभी वर्ग के लोगों को शायरियों व गजलों की किताबें लुभा रही हैं। साथ ही, फिल्मों में जुड़ी किताबों को भी काफी पसंद किया जा रहा है।
वाणी प्रकाशन के मैनेजिंग डायरेक्टर अरुण माहेश्वरी ने बताया कि ग्राहक शायरी की किताबें खरीद रहे हैं। बशीर बद्र की रूमानियत से भरी शायरी, शहरयार व फैज की प्रगतिशील शायरी और निदा फाजली व गुलजार की किताबों की सबसे ज्यादा मांग देखी जा रही है। इसके अलावा मुनव्वर राणा की व्यंग्यात्मक शायरी भी पाठकों को पसंद आ रही हैं।
कॉलेज छात्र नकुल देव ने बताया कि शायरी न सिर्फ रुचिकर होती है, बल्कि इसे पढ़ने से हमें उर्दू के कई नए शब्दों को जानने और समझने का मौका मिलता है। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा निहारिका सूद का कहना है साहित्यिक किताबों को पढ़ने से मनोरंजन के साथ ज्ञान भी मिलता है। छात्र राज कौशिक का कहना है कि मुझे शायरी पढ़ना और उसे अपने दोस्तों को सुनाना पसंद है। इसलिए मैं कुछ किताबें जरूर खरीदूंगा।
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