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SC के सामने खुला आम्रपाली का काला चिट्ठा, चपरासी-ड्राइवर के नाम पर हैं 23 कंपनियां

यह भी बता चला है कि बिल्डर ने पॉश फ्लैटों को महज एक रुपये, पांच रुपये और 11 रुपये प्रति वर्ग फीट की कीमत पर 500 से अधिक लोगों के नाम पर बुक किया है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 10:16 AM (IST)
SC के सामने खुला आम्रपाली का काला चिट्ठा, चपरासी-ड्राइवर के नाम पर हैं 23 कंपनियां
SC के सामने खुला आम्रपाली का काला चिट्ठा, चपरासी-ड्राइवर के नाम पर हैं 23 कंपनियां

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त ऑडिटरों की फॉरेंसिक जांच से रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह के घपलों पर नित-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। ऑडिटरों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि  आम्रपाली समूह की 23 कंपनियां ऑफिस ब्वॉय, चपरासी और ड्राइवरों के नाम पर चल रही हैं। कंपनी ने इस तरह से होम बायर्स से मिले धन का दुरुपयोग किया है।

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आम्रपाली ने 500 फ्लैट एक से 11 रुपये प्रति वर्ग फीट पर कर दिए बुक

बुधवार को दो फॉरेंसिक ऑडिटरों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने ‘बेनामी फ्लैटों’ के 655 लोगों को नोटिस जारी किया पर बुकिंग में बताए गए ऐसे 122 स्थानों पर कोई नहीं मिला। उन्होंने अंतरिम रिपोर्ट जस्टिस अरुण मिश्र और यूयू ललित की खंडपीठ को सौंप दी है। यह भी बता चला है कि बिल्डर ने पॉश फ्लैटों को महज एक रुपये, पांच रुपये और 11 रुपये प्रति वर्ग फीट की कीमत पर 500 से अधिक लोगों के नाम पर बुक किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ) चंदर वाधवा ने 4.75 करोड़ रुपये अज्ञात लोगों के नाम पर ट्रांसफर किए हैं। ऐसा उन्होंने पिछले साल 26 अक्टूबर को अदालत में पेशी से महज तीन दिन पहले किया। फॉरेंसिक ऑडिटर पवन कुमार अग्रवाल ने बताया कि वाधवा के खाते में मार्च, 2018 तक 12 करोड़ रुपये थे। उसके बाद उन्होंने एक करोड़ रुपये पत्नी के खाते में ट्रांसफर किए हैं।

खंडपीठ ने कोर्ट में मौजूद वाधवा को फटकारने के बाद कहा कि आपको पता था कि कोर्ट सवाल पूछेगा, इसलिए रकम ट्रांसफर कर दी। 23 अक्टूबर, 2018 को धन खाते से ट्रांसफर करने की कोई जरूरत नहीं थी। हमें ट्रांसफर की गई रकम सात दिनों में वापस चाहिए। आपने न्याय प्रक्रिया को बाधित किया है और हम आप पर अदालत की अवमानना का मामला चला सकते हैं।

अदालत ने फॉरेंसिक ऑडिटरों से कहा है कि वह आम्रपाली समूह के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा से एक करोड़ रुपये और निदेशक शिवप्रिया से एक करोड़ रुपये वसूलें। वर्ष 2013-14 में आयकर विभाग की छापेमारी में मिले 200 करोड़ रुपये के रॉ मैटीरियल के फर्जी बिल और बाउचर के आइटी आर्डर को पेश करें।

फॉरेंसिक ऑडिटर रवि भाटिया ने कहा कि आम्रपाली समूह ने आइटी आर्डर के खिलाफ अपील की है। फॉरेंसिक ऑडिटरों ने जेपी मार्गन रियल एस्टेट फंड और आम्रपाली समूह के कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन पर भी ध्यान खींचा। बताया कि आम्रपाली जोडियक के शेयर 85 करोड़ रुपये में खरीदने के बाद नीलकंठ और रुद्राक्ष नाम की मामूली कंपनियों को उन शेयरों को दोबारा बेच दिया गया।

ये दोनों कंपनियां चंदन मित्तल और विवेक मित्तल के नाम पर थीं, जो आम्रपाली वैधानिक ऑडिटर के दफ्तर में काम करते थे। ये आम्रपाली समूह की सहायक कंपनियां हैं। इस पर खंडपीठ ने जेपी मार्गन के वकील से कहा कि वह और भारत के उनके प्रभारी एक हफ्ते में जवाब दाखिल करें। मार्गन को एक हफ्ते में यह बताना है कि ये सारे लेन-देन कैसे हुए। सीएफओ की नियुक्ति कब की। किसने नीलकंठ और रुद्राक्ष को कंपनी के शेयर बेचने को कहा? किसने दस्तावेज पर दस्तखत किए। खंडपीठ ने कहा कि अगर जवाब नहीं मिला तो इस मामले को सीरियस फ्राड इंवेस्टिगेशन आफिस के हवाले कर दिया जाएगा।

रजिस्ट्री के दिए संकेत

आम्रपाली के विभिन्न प्रोजेक्ट में बिना रजिस्ट्री रह रहे खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। अदालत ने इन खरीदारों को अपने फ्लैट की रजिस्ट्री कराने की अनुमति देने के संकेत दिए हैं। इसके लिए कोर्ट ने विभिन्न पक्षों से साथ ही नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कानूनी सुझाव मांगे हैं। अदालत अब इस मामले की सुनवाई 24 जनवरी को करेगी।

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