शिक्षकों पर ज्यादा पैसे खर्च नहीं करना चाहती है दिल्ली सरकार
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्ष 2011 से लेकर अब तक सात साल में शिक्षक भर्ती को लेकर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में वर्ष 2017 तक शिक्षकों के 66,736 पद मंजूर किए गए हैं, लेकिन वर्ष 2010 से 2015 के बीच सिर्फ 2929 स्थायी शिक्षकों की भर्ती हुई। अभी 28,678 पद खाली हैं। ये कब भरे जाएंगे, शिक्षा निदेशालय भी इससे अनभिज्ञ है।
मामले की फाइल अटकी हुई है
शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर शिक्षा निदेशालय में स्पेशल डायरेक्टर रंजना देशवाल ने उक्त जानकारी हाई कोर्ट में हलफनामा देकर दी है। कोर्ट में सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि यह सरकार का नीतिगत मामला है।उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल कार्यालय में शिक्षक भर्ती मामले की फाइल अटकी हुई है।
15 हजार गेस्ट टीचर रखे गए हैं, क्योंकि दिल्ली सरकार शिक्षकों पर ज्यादा पैसे खर्च नहीं करना चाहती है। सरकार टीजीटी स्थायी शिक्षक को 60 हजार रुपये प्रतिमाह और पीजीटी स्थायी शिक्षक को 65 हजार रुपये देती है। गेस्ट टीचर को महीने में 33 से 34 हजार रुपये का ही भुगतान करना होता है।
दिल्ली सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी
इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्ष 2011 से लेकर अब तक सात साल में शिक्षक भर्ती को लेकर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। गेस्ट टीचर की नियुक्ति फैशन बन गया है।
याचिकाकर्ता के वकील अशोक अग्रवाल ने कोर्ट में कहा कि सरकार का पूरा ध्यान कांट्रैक्ट पर काम करने वाले शिक्षकों को गेस्ट टीचर के रूप में लगाने पर है। इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक हटाने में कितना समय और लगेगा।
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