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ग्रामीणों ने मांगी बस सुविधा तो परिवहन निगम ने दिया गोलमोल जवाब

शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली परिवहन निगम की सेवाओं के लिए अब भी राजधानी के कई गांवों के लोग तरस रहे

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jul 2017 06:34 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jul 2017 06:34 PM (IST)
ग्रामीणों ने मांगी बस सुविधा तो परिवहन निगम ने दिया गोलमोल जवाब
ग्रामीणों ने मांगी बस सुविधा तो परिवहन निगम ने दिया गोलमोल जवाब

शिप्रा सुमन, बाहरी दिल्ली

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परिवहन निगम की सेवाओं के लिए अब भी राजधानी के कई गांवों के लोग तरस रहे हैं। नरेला क्षेत्र का कुशक हिरनकी गांव का भी हाल कुछ ऐसा ही है। ग्रामीणों ने जब वर्षो से बंद पड़े बस रूट को शुरू करने की मांग की तो परिवहन निगम ने गोलमोल जवाब दिया। इलाके की सड़कें खराब होने के कारण बस के आवागमन में दिक्कत को लेकर मजबूरी जताई। निगम ने यह कहकर झाड़ लिया कि फिलहाल इस दिशा में कोई कार्य करना संभव नहीं है। दरअसल, डीटीसी बस सेवाओं के तहत चलने वाली विभिन्न रूटों की बस राजधानी के ग्रामीण इलाकों से अब भी अछूती हैं।

गांव के निवासी गौरव सैनी ने बताया कि इसे लेकर गांव के लोगों की ओर से दिए गए आवेदन के जवाब से भी लोग असंतुष्ट हैं। कुशक गांव में डीटीसी बस नंबर-162 के नहीं चलने से लोगों को परेशानी हो रही है। काफी समय बीतने के बाद भी इसकी शुरुआत नहीं की गई। इस रूट को शुरू करने के लिए जब आवेदन दिया गया तो गोलमोल जवाब प्राप्त हुआ।

गोलमोल जवाब से ग्रामीण परेशान

परिवहन निगम के यातायात प्रबंधक संदीप कुमार की ओर से दिए गए जवाब में यह बताया गया कि संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर रूट संख्या-162 पर सुबह 7.20 से लेकर 10 बजे के फेरे तिग्गीपुर से मोरी गेट टर्मिनल के बीच होते हैं। इसकी वापसी में रात 8.40 से 11.20 बजे के फेरे होते हैं। रूट संख्या-147 की बस तिग्गीपुर से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के बीच परिचालन के लिए है। इसलिए यह बस रूट बंद नहीं है। जवाब में बताया गया कि बख्तावरपुर, मोहम्मदपुर, कुशक हिरनकी व रमजान गांवों के लिए रुट 17, 125, 129, 146, 149 व 154 की बसों का परिचालन किया गया है। इससे ग्रामीण अपने निश्चित गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकते हैं। यह भी बताया गया कि इन इलाकों में लो फ्लोर बसों के अनुरूप सड़कें उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए अब संसाधनों के अभाव में प्रचालित बसों के अलावा अन्य बस सेवाओं में वृद्धि करना फिलहाल संभव नहीं है। निगम के बेड़े में बसों की वृद्धि होने पर मांग पर विचार किया जाएगा। ऐसे में इस जवाब को ग्रामीण पूरी तरह से निराधार और झूठा बता रहे हैं, क्योंकि उनका कहना है कि जिन बस रूटों के चालू होने की बात की गई है उनमें से भी ज्यादातर बसों का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है।

बस क्यू शेल्टर की सुविधा नहीं

40 वर्ष पुराने इस गांव में अब तक एक भी पक्का बस क्यू शेल्टर का निर्माण नहीं हो सका है। इससे ग्रामीण यात्रियों को परिवहन की मूलभूत सुविधाएं नसीब नहीं हो रही हैं। बैठने के लिए सुविधा तो दूर, यात्रियों को बस के इंतजार के लिए पत्थरों पर बैठना पड़ता है। धूप व बारिश से बचने के लिए पेड़ का सहारा मिलता है। इस मामले में गांव के लोगों ने (डीटीआइडीसीएल) दिल्ली परिवहन ढांचा विकास निगम समिति को शिकायत भी की, लेकिन बस क्यू शेल्टर का निर्माण नहीं हुआ।


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