देसी-विदेशी पर्यटकों को भी खींच लाती है लजीज व्यंजनों की खुशबू
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: पुरानी दिल्ली में नूर से नहाई सेहरी और पाकीजगी में तर रमजान की साझों की
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: पुरानी दिल्ली में नूर से नहाई सेहरी और पाकीजगी में तर रमजान की साझों की बात ही कुछ और होती है। माहे रमजान में पुरानी दिल्ली के व्यंजनों का जायका और खुशबू कुछ अलग ही होती है। यही वजह है कि देसी-विदेशी पर्यटक भी पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में खिंचे चले आते हैं। इस बारे में देश के पहले शिक्षामंत्री अबुल कलाम आजाद के पौत्र फिरोज बख्त अहमद कहते हैं कि दशकों पहले जो विशिष्टता माहे रमजान के व्यंजनों में थी, वह आज भी बरकरार है। वहीं खुशबू, वहीं स्वाद, जो कहीं और नहीं मिलता है। हर गली से अलग ही महक उठती है, जिससे जुबां पर पानी आ जाता है। बस चखने का मन करता है। तो चलते हैं हम भी रमजान माह के व्यंजनों को शब्दों के जरिये चखने..।
रमजान माह में खाने-पीने की दुकानों पर लोगों की भीड़ बढ़ जाती है। आलम यह है कि कोई पकौड़े खरीद रहा है तो कोई फ्रुट चाट से इफ्तार खोलने की तैयारी में है। इस माह तली हुई पकौड़िया, नाना प्रकार की सब्जियों और कीमे के समोसे, सीख कबाब, लौंगचा कबाब, नरगिसी कोफ्ते, बिरयानी, नहारी, मछली के कबाब समेत अन्य व्यंजनों की खूब बिक्री हो रही है। नमकीन के साथ-साथ मिठाइयों का बाजार भी गर्म है। रोजा इफ्तारी के बाद लोग मिठाइया खाने पसंद करते हैं, ऐसे में हब्शी हलवा, गोंदे का हलवा और दिल बहार मलाई चॉप के अलावा देशी घी से तैयार खजले, फेनिया व सेवइया विशेष तौर पर पसंद किए जा रहे हैं। जामा मस्जिद इलाके में बिकने वाले मछली कबाब की अपनी ही बात है।
फ्रूट चाट: स्वाद और सेहत दोनों के लिहाज से अव्वल
इफ्तार के लिए फ्रूट-चाट में केला, अमरूद, पपीता, सेब, अनार, अनानास समेत अन्य फल इस्तेमाल किए जाते हैं। इफ्तार से आधा-एक घंटा पूर्व सभी फलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर ऊपर से चीनी और चाट मसाला डाल दिया जाता है। इस रमजान डिश का जवाब नहीं, क्योंकि स्वाद और सेहत दोनों के लिहाज से यह अव्वल है। इसे खाने से ताजगी का आभास होता है।
जायकेदार नहारी पर लोग हो जाते हैं निहाल
अधिकतर होटलों में सवेरे नहारी परोसी जाती है। नहारी एक ऐसा मुगलई भोज है, जो सारी रात कोयले की हल्की आच पर पकाया जाता है। इसमें 32 प्रकार के मसाले डाले जाते हैं। इसकी ख़ुशबू ही इतनी अच्छी होती है कि लोगों के मुंह में पानी आ जाए। मीठे समोसे और रबड़ी भी लोग चाव से खाते हैं।
पिंड खजूर से इफ्तार करने को माना जाता है सुन्नत
गले को तर करने के लिए शर्बत की मांग भी खूब होती है। इस बार शुगर फ्री शर्बत के साथ विभिन्न फलों के फ्लेवर वाले जूस की मांग खूब है। इसके अलावा मैंगों शेक और फलों का जूस भी गले को तर रखने के लिए लोग इफ्तारी में प्रयोग में ला रहे हैं। लोग पिंड खजूर भी खूब खाते हैं। पिंड खजूर से इफ्तार करने को सुन्नत माना जाता है।
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सेहरी के समय भी रहती है बाजारों में रौनक
आम तौर ऐसा माना जाता है कि इफ्तार के समय ही लोग जमकर खाते-पीते हैं, जबकि सेहरी के समय भी बाजारों में खूब रौनक होती है। सभी छोटे-बड़े बाजारों में होटल खुले रहते हैं। कुछ होटल तो रमजान के माह में बंद ही नहीं होते। रात एक बजे तक खाना-पानी चलता है तो दो बजते ही सेहरी का खाना खाने वाले आना शुरू हो जाते हैं। सेहरी में खजला, फेनी और सेवइया विशेष रूप से लोग खाते हैं। इस बारे में जायका रेस्टोरेंट के मालिक दानिश इकबाल कहते हैं कि रमजान के दौरान लोगों की दिनचर्या और खाने पीने का समय बदल जाता है। ऐसे में देर रात तक रेस्टोरेंटों में चहल पहल रहती है।