प्रत्याशी दरकिनार, व्यक्ति विशेष के नाम पर पड़े वोट
वी.के.शुक्ला, नई दिल्ली यह बदलाव का दौर है। हर क्षेत्र में बदलाव दिख रहा है। राजनीति की बात करें
वी.के.शुक्ला, नई दिल्ली
यह बदलाव का दौर है। हर क्षेत्र में बदलाव दिख रहा है। राजनीति की बात करें तो अब वोटर की विचारधारा में बदलाव नजर आ रहा है। नगर निगम के इस चुनाव में इस बार खासतौर पर देखने को मिला कि स्थानीय मुद्दों से अधिक व्यक्ति विशेष के नाम पर वोट पड़े हैं।
मतदान के दौरान निम्न वर्ग से लेकर मध्यम और उच्च वर्ग तक से उनकी राय जाने की कोशिश की गई तो कई लोगों के अलग-अलग विचार और प्राथमिकताएं मिलीं। मगर बहुत बड़ा वर्ग ऐसा मिला, कुरेदने पर जिसने कहा कि उनका विकास उन्हीं हाथों में सुरक्षित है जिस पर उन्हें विश्वास है। उन्होंने विकास के मुद्दे पर वोट दिया है। अधिकतर से जवाब यही मिला कि सब जानते हैं कि जनता को किस पर भरोसा है, हमने भी उसी के नाम पर वोट दिया है। जो काम करता है और करवाना भी जानता है।
यह बात बहुत पुरानी नहीें है जब राजनीतिक दलों के नाम पर वोट पड़ते थे। चुनाव स्थानीय निकाय का हो या फिर सांसद चुनने का। लोग बंटे हुए होते थे, साफ तौर पर बात होती थी कि कौन किसका समर्थन कर रहा है। पार्टी हारे या जीते काम करे या न करे। मगर हालात ऐसे नहीं हैं। आज का युवा वर्ग ऐसे ही अब किसी व्यक्ति विशेष से प्रभावित नहीं हो रहा, वह उसका व्यक्तित्व भी देख रहा है। उसके पास इंतजार के लिए बहुत समय नहीं है। परिणाम नहीं
वोटर ने किसे वोट दिया है यह तो 26 को ही पता चलेगा। मगर लोगों ने इशारों इशारों में कह भी बहुत कुछ दिया है कि नगर निगम में सत्ता किसकी आ रही है। दिलशाद गार्डन निवासी व्यवसायी अमरजीत सिंह कहते हैं कि हमने उसे वोट दिया है जो सब का विकास करे। इसी तरह गाजियाबाद के रामप्रस्थ से पति के साथ यमुना विहार अपने मायके में स्वेता डोगरा वोट डालने आई थीं। वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं। स्वेता की मानें तो उन्होंने अपना वोट देने के लिए पार्टी नहीं, मुद्दे को चुना है। मुद्दा है दिल्ली का विकास। यह सवाल खड़ा हुआ कि विकास कौन कराएगा? जबाव भी मिला कि यह देश जानता है कि विकास कौन करा सकता है।
विजय पार्क निवासी रुबीना असलम को कुरेदने पर सामने आया कि वह एक विपरीत विचारधारा को समर्थन करती हैं। साहित्यिक पृष्ठभूमि की रुबीना ने समर्थन देने का जो कारण बताया उसका नगर निगम चुनाव से कोई लेना देना तक नहीं है। मगर यह उनकी भावना और विश्वास है कि उन्हें लगता है कि जिस व्यक्ति का वह समर्थन करती हैं, उस व्यक्ति के दिशा निर्देशन में ही विकास हो सकता है। मगर जीटीबी एंक्लेव निवासी सेवानिवृत्त अधिकारी एस.ए.जैदी इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि हमने माहौल को देख कर वोट दिया है। यह पूछने पर कि कौन सा माहौल? इस सवाल पर साथ खड़ी पत्नी शायरा ने यह कह कर उनका हाथ खींचा कि चलो, देर हो रही है। अल्वी साहेब भी बात घुमा गए और बोले कि यही जो हमारे काम कराए। सभी को साथ लेकर चले।