बुजुर्गो में दिखा कमाल का जज्बा
मैंने 92 वर्ष की उम्र में इसलिए वोट किया क्योंकि एक व्यक्ति के पास यही तो अधिकार होता है अपने प्रतिन
मैंने 92 वर्ष की उम्र में इसलिए वोट किया क्योंकि एक व्यक्ति के पास यही तो अधिकार होता है अपने प्रतिनिधि को चुनने का। मेरा वोट पेंशन के लिए गया है। निगम की ओर से कई वर्षो से पेंशन नहीं मिल रही है। मैं तब तक वोट करता रहूंगा, जब तक मेरी सांसे चलती रहेंगी।
रामचंद्र
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मैं वोट देकर बहुत खुश हूं। आज तक ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ, जिसमें मैंने वोट न दिया हो। परिस्थिति चाहे जो रही हो, लेकिन वोट डालना नहीं छोड़ा। भले ही बुजुर्ग हो गई हूं, लेकिन वोट की कीमत अच्छे से जानती हूं।
-सलोचना देवी, 80 वर्षीय
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बुढ़ापा अधिक होने की वजह से मुझसे चला नहीं जाता, इसलिए मेरा बेटा मुझे घर से मतदान केंद्र तक अपनी पीठ पर बैठाकर लाया। बहुत कम बच्चे होते हैं, जो बुढ़ापे में इस तरह से अपने माता-पिता की मदद करते हैं। मैंने अपना वोट विकास के साथ बुजुर्गो की रुकी हुई पेंशन चालू करने के लिए किया है।
- अब्दुल हामिद, 85 वर्षीय
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बुढ़ापा है तो क्या हुआ, वोट करना तो सबका अधिकार है। मैंने अपना वोट सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए दिया है। इसके साथ ही कई वर्षो से रुकी हुई पेंशन को दोबारा से चालू करवाने के लिए मैंने मतदान किया है। घर में ऐसा कोई नहीं था, जो मुझे मतदान केंद्र तक भी ला सके, इसलिए मैं लकड़ी के सहारे ही घर से मतदान केंद्र पहुंच गया।
-अब्दुल कादिर, 79 वर्षीय
मैंने अपना वोट सफाई के लिए दिया है। क्षेत्र में ऐसा कोई पार्क नहीं है, जहां पर बुजुर्ग आराम से जाकर बैठ सके। कई वर्षो से पेंशन बंद है, जिससे बुजुर्गो को काफी दिक्कत होती है।
-शांता, 84 वर्षीय