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ग्रेडिंग सिस्टम सही पर तालमेल भी जरूरी

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली ग्रेडिंग रिस्पांस सिस्टम लागू होने पर भी दिल्ली की आबोहवा बेहतर हो पाएगी,

By Edited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 01:00 AM (IST)
ग्रेडिंग सिस्टम सही पर तालमेल भी जरूरी
ग्रेडिंग सिस्टम सही पर तालमेल भी जरूरी

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली

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ग्रेडिंग रिस्पांस सिस्टम लागू होने पर भी दिल्ली की आबोहवा बेहतर हो पाएगी, इसमें संदेह है। दरअसल, यहां वायु प्रदूषण के कारण कई हैं। सरकारी विभागों में कोई तालमेल नहीं है। बड़ी बात यह कि समस्या की जड़ में कोई जाना नहीं चाहता। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि दिल्ली के लिए यहां की जरूरत के अनुरूप अलग से कार्ययोजना पर काम करना होगा।

यह हैं प्रमुख कारण

दिल्ली में आबादी और वाहनों का दबाव तेजी से बढ़ रहा है। हरियाली की कीमत पर यहां भवन निर्माण एवं औद्योगिकीकरण थमने में नहीं आ रहा। इससे वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। दिल्ली का मौसम भी इसके लिए कम दोषी नहीं है। यहां की भौगोलिक स्थितियां ऐसी हैं कि हवा की गति आमतौर पर एक मीटर प्रति सेकेंड तक रहती है। जबकि वायु प्रदूषण को खत्म करने के लिए हवा की गति 6 से 10 मीटर प्रति सेकेंड तक होनी चाहिए।

हर जगह प्रदूषण के अलग कारण

दिल्ली में अलग- अलग जगह वायु प्रदूषण के कारण भी अलग अलग हैं। जैसे, आनंद विहार की तरफ उत्तर प्रदेश के डीजल चालित बस- ट्रक आबोहवा में जहर घोलते हैं तो पंजाबी बाग में लगने वाला लंबा जाम प्रदूषण बढ़ने का कारण है। इसी तरह एयरपोर्ट पर वायु प्रदूषण बढ़ने की वजह अलग हैं जबकि आरके पुरम में अलग। सभी जगह एक जैसे उपायों से प्रदूषण की रोकथाम संभव ही नहीं है। जहां पर जो कारक हैं, उसी हिसाब से एक्शन प्लान तैयार करना होगा।

सरकारी विभागों में तालेमल नहीं

ग्रेडिंग रिस्पांस सिस्टम को लागू करने की जिम्मेदारी नगर निगम, एनसीआर प्लानिंग बोर्ड, यातायात पुलिस, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा दिल्ली एवं एनसीआर के सभी परिवहन आयुक्तों की है। मगर इन सभी में आपसी तालेमल नहीं है। एक दूसरा विभाग क्या कर रहा है, आपस में ही नहीं पता होता।

सभी की सामूहिक जिम्मेदारी

देखिए, सीपीसीबी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या सरकारें सिर्फ नियम कानून ही बना सकती हैं। उनका पालन आम जनता को ही करना है। हरियाली को बढ़ावा देना सभी का दायित्व है। घर के बाहर भी झाड़ू लगानी हो तो पानी छिड़क लेना चाहिए ताकि धूल उड़े नहीं। भू उपयोग नियंत्रित होना चाहिए। निजी वाहनों का प्रयोग कम और सार्वजनिक वाहनों का उपयोग ज्यादा करना चाहिए।

-डा. दीपांकर साहा, अतिरिक्त निदेशक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

लोकल एक्शन प्लान बनाना होगा।

हर जगह के वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों, निवारण की दिशा में उठाए जाने वाले प्रस्तावित कदमों और हर जगह के लिए अलग नोडल आफिसर और काम करने वाली पृथक टीम का आधार लिए लोकल एक्शन प्लान भी बनाना होगा। हर विभाग ईमानदारी से अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा, तभी स्थिति में कुछ सुधार संभव है।

-विवेक चट्टोपाध्याय, प्रोग्राम मैनेजर, एयर पल्यूशन कंट्रोल यूनिट, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट।


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