खुले आसमान के नीचे जीने को मजबूर पाक हिंदू शरणार्थी, सरकार बेपरवाह
आग की घटना के बाद एसडीएम ने टेंट लगाने का आश्वासन दिया था, लेकिन कई घंटों का वक्त गुजर चुका है और अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। बुजुर्ग शोभाराम मंजर को याद कर सहम जाते हैं, जब उनकी आंखों के सामने ही पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों का कैंप जलकर राख हो गया। वो मदद की गुहार लगाते रहे, चीखते रहे, लेकिन न तो किसी को उनकी चीख सुनाई दी और न ही कोई मदद के लिए सामने आया। कपड़ो के साथ घर का सारा सामान देखते ही देखते आग में स्वाहा हो गया।
रविवार की दोपहर को मजनूं का टीला स्थित पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के कैंप में लगी आग में 30 से ज्यादा आशियाने जलकर खाक हो गए। 24 घंटे से भी ज्यादा का वक्त गुजर चुका है लेकिन सरकारी मदद न मिलने से अधिकतर शरणार्थी फुटपाथ पर रात गुजारने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं कई लोग भूखे हैं और उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है।
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नहीं मिली मदद
प्रधान सोना दास ने बताया कि रविवार दोपहर खाना बनाते समय एक कैंप में आग लग गई थी। देखते ही देखते आग फैल गई और 30 से ज्यादा कैंप जलकर राख हो गए। दमकल की गाड़ियां जब तक आग पर काबू पातीं तब तक सारा सामान जल चुका था। किसी को वक्त नहीं मिला कि वो अपने बिस्तर तक निकाल ले। आग की घटना के बाद एसडीएम ने टेंट लगाने का आश्वासन दिया था, लेकिन कई घंटों का वक्त गुजर चुका है और अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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तस्वीर: जलकर खाक हुए पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के कैंप
कैसे होगा गुजारा?
शरणार्थी दयाल दास कहते हैं कि साल 2010-11 से ही पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी के रूप में भारत आना शुरू हो गए थे। साल 2013 -2014 में आए करीब 110 परिवारों के 500 लोगों को मजनूं का टीला और 55 परिवारों के 335 लोगों को आदर्श नगर स्थित शरणार्थी कैंप में बसाया गया था। ये सभी पाकिस्तान के सिंध, हैदराबाद, हाला, टंडो मोहम्मद खान, टंडो अहलयार समेत कई अन्य इलाकों से आए थे। भारतीय नागरिकता दिए जाने की गुहार लगाते हुए शरणार्थी कई बार राष्ट्रपति भवन समेत प्रधानमंत्री कार्यालय जा चुके हैं। कई बार मानवाधिकार आयोग, गृहमंत्री, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मिले, लेकिन अब तक किसी को नागरिकता नहींं मिली है।
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तस्वीर: पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी
नहीं मिली नागरिकता
नागरिकता न मिलने की वजह से शरणार्थी स्थानीय बाजारों में रेहड़ी-पटरी तक नहीं लगा पाते। पहले ही पाई-पाई को मोहताज शरणार्थी सर्दी की शुरुआत में कैंप जलने से मायूस हैं। अब उन्हें यह चिंता सता रही है कि यदि सरकार ने मदद नहीं की तो वो सर्दी में कैसे गुजारा करेंगे।