Move to Jagran APP

प्रदर्शनी के जरिये जानें विकास व संघर्ष की गाथा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एम्स की पहचान एक ऐसे चिकित्सा संस्थान के रूप में रही है जिस पर देश ही नहीं

By Edited By: Published: Mon, 26 Sep 2016 01:05 AM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2016 01:05 AM (IST)
प्रदर्शनी के जरिये जानें विकास व संघर्ष की गाथा

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एम्स की पहचान एक ऐसे चिकित्सा संस्थान के रूप में रही है जिस पर देश ही नहीं विदेश के मरीज भी भरोसा करते हैं। अपना डायमंड जुबली समारोह मना रहे इस संस्थान के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा कि हर साल करीब 30 लाख लोगों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने वाले इस स्वायत्तशासी संस्थान के पास इतना भी पैसा नहीं था कि अस्पताल बना सके। न्यूजीलैंड से मिले अनुदान से बने एम्स का विकास बेहद संघर्षपूर्ण रहा है। 350 बेड से शुरुआत कर देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान का दर्जा हासिल करने तक के सफर पर एम्स में एक प्रदर्शनी लगाई गई है। रविवार से शुरू इस प्रदर्शनी में पहुंचकर लोग संस्थान के विकास और उसकी उपलब्धियों की जानकारी ले सकेंगे।

loksabha election banner

चिकित्सा शिक्षा और शोध को बढ़ावा देने के मकसद से वर्ष 1956 में एम्स अपने अस्तित्व में आया। वर्ष 1957-58 में संस्थान का बजट 40 लाख रुपये था। एम्स के उप निदेशक (प्रशासनिक) वी श्रीनिवास ने बताया कि शुरुआत में संस्थान के पास इतना बजट नहीं था कि तृतीय पंचवर्षीय योजना के अंत तक भी वह अस्पताल का भवन तैयार करा सके। इसलिए एम्स प्रशासन सफदरजंग अस्पताल को अपने अधीन लेना चाहता था। प्रथम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर के नेतृत्व में गठित संस्थान की पहली गवर्निग बॉडी ने बाकायदा सरकार को इसका प्रस्ताव भी दिया था। इसके बाद सफदरजंग अस्पताल में 60 बेड मेडिकल शिक्षा के संचालन के लिए एम्स को उपलब्ध कराए गए। अमेरिका के रॉकफेलर फाउंडेशन से मिले दो लाख डॉलर की मदद से किताबें, मेडिकल जर्नल व उपकरण खरीदे गए। वी. श्रीनिवासन ने कहा कि राजकुमारी अमृत कौर ने संस्थान के विकास के लिए विदेशी संस्थानों से समझौते की नींव रखी और अमेरिका के विश्वविद्यालयों व संगठनों के साथ समझौते पर विशेष ध्यान दिया। इसके अलावा न्यूजीलैंड से अनुदान के रूप में मिले दस लाख पाउंड की सहायता से 350 बेड के अस्पताल का निर्माण किया गया। मौजूदा समय में एम्स में 2400 बेड हैं। इसके अलावा कई सेंटरों के निर्माण की परियोजनाएं हैं, जिनके पूरा होने पर बेड क्षमता दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अब संस्थान का बजट 2000 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल ने 1961 कहा था कि एम्स एक दिन 40 करोड़ लोगों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करेगा। वह बात आज सच हो चुकी है। एम्स आज उत्तर भारत के लोगों की चिकित्सा जरूरतों को पूरा कर रहा है।

योग से समारोह की शुरुआत

डायमंड जुबली समारोह की शुरुआत रविवार को सुबह योग से हुई। एम्स के डॉक्टरों व कर्मचारियों ने अवकाश का दिन होने के बावजूद संस्थान में पहुंचकर योग किया। सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी समारोह में हिस्सा लेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.