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चलो गांव की ओर : देवली गांव

फोटो- 31ओकेएल- 201 से 213 सफाई की व्यवस्था है न पीने का पानी गांव- देवली जनसंख्या- करीब 40

By Edited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 07:12 PM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 07:12 PM (IST)
चलो गांव की ओर : देवली गांव

फोटो- 31ओकेएल- 201 से 213

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सफाई की व्यवस्था है न पीने का पानी

गांव- देवली

जनसंख्या- करीब 40 हजार

वोटर- करीब 10 हजार

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देवली गांव के लोग स्थापना के 100 वर्ष बाद भी सफाई, बेहतर सड़क और साफ पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। जर्जर सड़कें, गंदगी से बजबजाती नालियां और कूड़े के ढेर यहां की पहचान बने हुए हैं। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण आज इस गांव की स्थिति झुग्गी बस्ती जैसी हो गई है। गांव की सबसे बड़ी समस्या सफाई की है। गांव में आज तक गंदा पानी और गंदगी की निकासी के लिए सीवर लाइन नहीं बिछाई गई है। ड्रेनेज का एकमात्र साधन नालियां ही हैं। सफाई नहीं होने से ज्यादातर नालियां जाम हैं। बरसात में तो जलजमाव और गंदगी से यहां के लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए ग्रामीण कई बार जनप्रतिनिधि से लेकर निगम अधिकारी तक से गुहार लगा चुके हैं पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गांव में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एक भी डिस्पेंसरी नहीं है इससे लोगों को सामान्य जांच के लिए भी खानपुर जाना पड़ता है।

गांव का इतिहास

देवली गांव करीब 100 वर्ष पहले बसाया गया था। तब लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए गांव में तालाब, कुएं, पंचायत घर, चौपाल सब कुछ बनाया गया था। उस वक्त गांव में करीब 50-60 घर थे, जबकि आज इस गांव में तीन हजार से अधिक घर हैं। इस गांव में सभी जाति-धर्म के लोग रहते हैं। ब्राह्मण, दलित आदि बड़ी संख्या में रहते हैं।

प्रमुख समस्याएं

1 - नालिया जाम, सड़क पर बह रहा पानी

गांव की स्थापना के इतने साल बाद गांव में सीवर लाइनें नहीं बिछी हैं। इस कारण आज भी गांव में ड्रेनेज का एकमात्र साधन सड़क किनारे बनी नालियां हैं। उसी नाली में बारिश का पानी से लेकर घरों का गंदा पानी के साथ ही गंदगी भी बहाई जाती है। अब गांव की ज्यादातर नालियां या तो जर्जर होकर टूट चुकी हैं या फिर नियमित सफाई नहीं होने जाम पड़ी हुई हैं। कई जगह अतिक्रमण के कारण संकरी हो गई हैं। इसके कारण अब नालियों से ओवरफ्लो हो उसका पानी सड़क पर बहता रहता है। बारिश के दौरान तो सड़क ही नालियों में बदल जाती है।

2 - संकरी जर्जर सड़कों पर लगता है जाम

कई वर्षो से सड़कों की मरम्मत नहीं होने के कारण गांव की ज्यादातर सड़कें पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं। इसके कारण सड़क पर जगह-जगह गढ्डे बन गए हैं जिसमें नाली और बारिश का पानी जमा रहता है। इससे आने-जाने वालों को काफी परेशानी का सामने करना पड़ता है। वहीं, अतिक्रमण के कारण ज्यादातर सड़कें संकरी हो गई हैं। इससे बड़ी मुश्किल से दो गाडि़यां पास हो पाती हैं। इसके कारण आए दिन यहां जाम लग जाता है।

3 - जगह-जगह कूड़े के ढेर

गांव की एक बड़ी समस्या पूरे गांव में जगह-जगह जमा कूड़े के ढेर हैं। निगम की ओर से सफाई के लिए न ही नियमित रूप से गांव में कर्मचारी पहुंचते हैं और न ही जमा होने वाले कूड़े का उठाव किया जाता है। बारिश होने पर तो स्थिति और खराब हो जाती है। ऐसे में गांव की जिस गली-सड़क से गुजरो, कूड़े का ढेर नजर आता है। गांव के लोगों ने एसडीएमसी से कई बार इन समस्याओं के समाधान के लिए पत्र लिखा है लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई। एमसीडी के अधिकारी बस आश्वासन देकर अपनी इतिश्री कर लेते हैं।

4 - गांव के एक बड़े हिस्से में नहीं पहुंचता पानी

गांव के लोग सिर्फ ड्रेनेज और गंदगी से ही परेशान नहीं हैं बल्कि गांव के एक बड़े हिस्से में रहने वाले लोग पीने के पानी से भी महरूम हैं। प्राइमरी स्कूल के आसपास के लोगों को पिछले दो वर्ष से पानी नहीं मिला है। काफी मांग के बाद छह माह पूर्व यहां सोनिया विहार का पानी आपूर्ति के लिए पाइपलाइन भी बिछाया गया था। पर मात्र 10 से 15 दिन ही पानी की आपूर्ति के बाद पाइप लाइन से पानी आना बंद हो गया। आज उस इलाके के सैकड़ों लोग जल बोर्ड के टैंकर पर निर्भर हैं।

समस्या के समाधान का प्रयास

- सीवर डलवाने की मांग को लेकर कई बार अधिकारियों के चक्कर लगाए लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। उन्हें सिर्फ आश्वासन ही दिया गया।

- सड़कों की मरम्मत करवाने के लिए अधिकारियों से स्थानीय लोगों ने कई बार लिखित में गुजारिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

- गांव के लोगों ने कई बार अधिकारियों से कहा कि 500 गाड़ियों की क्षमता वाली भूमिगत मल्टीलेवल पार्किंग बनवा दी जाय लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात।

जागरण सुझाव

- एमसीडी अधिकारियों को प्रतिदिन गांव में सफाई व्यवस्था करानी चाहिए।

- सीवर की व्यवस्था के लिए उचित कदम उठाए जाएं और लोगों की समस्याओं की अनदेखी न की जाय।

- एमसीडी अधिकारियों को सड़कों की मरम्मत करानी चाहिए ताकि हादसों को रोका जा सके।

- जन प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे लोगों की समस्याओं को संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाएं।

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लोगों की राय

गांव की बड़ी समस्या पीने के पानी की है। आज भी गांव के एक बड़े हिस्से तक पानी नहीं पहुंच रहा है। जहां पहुंच भी रहा है तो इतने कम समय के लिए पानी आता है कि उससे लोग दिन भर के जरूरत के लायक भी पानी नहीं भर पाते हैं। बाहर से पानी खरीद कर लाना पड़ता है।

- किशन चंद

यहां पीने के पानी से लेकर साफ सफाई तक की कोई व्यवस्था नहीं है। हल्की बारिश हो जाए तो सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है। पानी के लिए पाइप लाइनें तो बिछी हैं पर उससे पानी नहीं आता। दिल्ली जल बोर्ड के टैंकर पर निर्भर रहना पड़ता है। वह भी नियमित नहीं आता। बाहर से पानी के जार खरीदकर लाना पड़ता है।

- लाल मोहन

गांव में ड्रेनेज का एक मात्र साधन नालियां हैं। उसमें भी ज्यादातर नालियां या तो टूट चुकी हैं या गाद से पूरी तरह से भर गई हैं। इसके कारण उसमें आने वाला पानी हर समय सड़क पर बहता रहता है। अगर बारिश हो जाए तो स्थिति बदतर हो जाती है। पहले से ही जर्जर हो चुकी सड़क पर चलना दूभर हो जाता है।

- सोहन

- गांव में पानी की समस्या को दूर करने और ड्रेनेज की सफाई की व्यवस्था करने व सीवर लाइन डलवाने के लिए कई बार स्थानीय विधायक, निगम पार्षद व निगम के अधिकारियों से मुलाकात की है। लेकिन सभी जगह से हमें सिर्फ आश्वासन ही मिला। होता कुछ नहीं। हमें समझ नहीं आता कि आखिर किससे हम अपनी समस्या बताएं।

- हुकुम सिंह

गांव की ज्यादातर सड़कें पूरी तरह से टूट चुकी हैं। पिछले कई वर्ष से सड़कों की मरम्मत नहीं हुई है। स्थिति यह है कि इन पर चलना मुश्किल है। सड़क से टूटे हुए पत्थर और सीमेंट के टुकड़े चारों ओर फैले होते है। इसके कारण हर समय सड़क हादसे की संभावना बनी रहती है। बारिश में तो स्थिति और खराब हो गई है।

- मोहन

गांव में न गंदे पानी की निकासी की सही व्यवस्था है और न ही घरों में साफ पानी की आपूर्ति की। नालियों की सफाई न होने के कारण बारिश में एक ओर जलजमाव से लोग परेशान हैं तो दूसरी ओर घरों में पीने का पानी तक नहीं है। इससे सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती है। कई बार गंदा पानी घरों में भी घुस जाता है।

- तारा देवी

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एसडीएमसी की ओर से नियमित साफ सफाई, कूड़े का उठाव और नालियों की सफाई की व्यवस्था है। इसे लेकर हर क्षेत्र के सफाई निरीक्षक को विशेष रूप से आदेश दिए गए हैं। खासकर बारिश में जलजमाव को देखते हुए नालियों की सफाई पर विशेष ध्यान देने का आदेश दिया गया है। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो गांव के लोग एमसीडी के कार्यालय में इसकी लिखित शिकायत करें, कार्रवाई अवश्य होगी। सड़कों के किनारे या खाली प्लॉटों में जमा होने वाले कूड़ा जमा करने के लिए जहां डस्टबिन नहीं हैं वहां इसके इंतजाम किए जाएंगे ताकि इलाका साफ-सुथरा बनाया जा सके।

- मुकेश यादव, निदेशक, प्रेस एवं सूचना, एसडीएमसी

निगम पार्षद का कोट

गांव की सभी नालियां तिगड़ी से दुर्गाविहार की ओर जाने वाले मुख्य नाले से मिलती हैं। इस नाले का एक हिस्सा ही मेरे वार्ड में आता है जिसकी समय-समय पर सफाई करवाई जाती है। बाकी अन्य हिस्से दो वार्ड से होकर गुजरते हैं। उसके जाम रहने के कारण बारिश में गांव की नालियों का पानी गांव से बहर नहीं निकल पाता। गांव के अंदर नालियों की यदि सफाई नहीं हुई है तो लोग हमारे कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। गांव में ड्रेनेज की समस्या का मुख्य कारण सीवर का नहीं होना है।

- सतीश गुप्ता, निगम पार्षद


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