Move to Jagran APP

खेद से नहीं चलेगा काम, पुलिस को बताना होगा क्या कार्रवाई की

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति द्वारा 100 नंबर (दिल्ली पुलिस की आपातकालीन हेल

By Edited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 10:27 PM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2016 10:27 PM (IST)
खेद से नहीं चलेगा काम, पुलिस 
को बताना होगा क्या कार्रवाई की

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति द्वारा 100 नंबर (दिल्ली पुलिस की आपातकालीन हेल्पलाइन) पर कॉल करने के बाद कोई जवाब नहीं मिलने के मामले में गृहमंत्रालय व दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में खेद प्रकट किया है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने कहा कि केवल खेद प्रकट करने से काम नहीं चलेगा, पुलिस बताए कि ऐसी कॉल जिनका पुलिस जवाब नहीं दे पाती, ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए उसने अभी तक क्या किया। अदालत ने कहा कि आप (पुलिस) क्या कार्रवाई कर रहे हैं। हम यह जानना चाहते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए अभी तक क्या किया।

prime article banner

पुलिस के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि अधिक संख्या में कॉल आने (हैवी ट्रैफिक) पर टेलीफोन सेवा प्रदाताओं के सिस्टम में रुकावट आ जाती है। आपातकालीन नंबर पर कॉल के लिए अलग से सिस्टम (बैंडविड) चाहिए। इस समस्या के समाधान के लिए दूरसंचार मंत्रालय व टेलीफोन सेवा प्रदाताओं से बातचीत कर काम किया जा रहा है। आपातकालीन केंद्र को पीसीआर गाड़ी से जोड़ने की योजना बनाई गई है। इसके लिए 663 नए लोगों को रखने की जरूरत है। जिन लोगों के कॉल का जवाब नहीं दे पाते, उन्हें कॉल बैक की जाती है। मई से जून के बीच 24 हजार लोगों को कॉल बैक की गई। अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 16 दिसंबर 2012, वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद 100 नंबर पर जल्द रिस्पांस करना, दिल्ली की कानून-व्यवस्था समेत अन्य कई मुद्दों पर हाई कोर्ट की एक अन्य खंडपीठ के समक्ष याचिका विचाराधीन है। अदालत ने 24 सितंबर तक फैसला सुरक्षित रख लिया है।

18 जुलाई को गृहमंत्रालय ने अदालत को बताया था कि आपात हेल्पलाइन सिस्टम को कारगर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इसे और प्रभावशाली बनाया गया है। कर्मचारियों को कार्य के दबाव और बदलते कॉल प्रारूप के मुताबिक बनाया गया है। इसके अलावा संचार सेवा प्रदाता पर अधिक ट्रैफिक से उसके सिस्टम में रुकावट होती है। इस वजह से कुछ कॉल केंद्रीय पुलिस नियंत्रण कक्ष (सीपीसीआर) एक्सचेंज तक नहीं पहुंच पाती हैं और बिना जवाब के रह जाती हैं। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने 29 अप्रैल को जाम में फंसने पर आपात हेल्पलाइन नंबर 100 पर कॉल किया था, लेकिन उनका फोन नहीं उठाया गया। इसके बाद उन्होंने मुख्य न्यायाधीश को इस बारे में पत्र लिखकर कार्रवाई करने का आग्रह किया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.