दवा दुकान की आड़ में चल रहा नशे का कारोबार
आशुतोष झा, नई दिल्ली राजधानी के अलग-अलग इलाकों में दवा की दुकानों पर नशे का भी कारोबार हो रहा है।
आशुतोष झा, नई दिल्ली
राजधानी के अलग-अलग इलाकों में दवा की दुकानों पर नशे का भी कारोबार हो रहा है। दिन हो या रात, खरीदने वाले खुलेआम इन दुकानों पर पहुंचते हैं और मनमाफिक नशे की दवा खरीदते हैं। पिछले दिनों इस संदर्भ में कुछ शिकायतें दिल्ली सरकार के ड्रग्स कंट्रोल विभाग को मिली जिनमें से अधिकांश सही निकलीं।
ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने तीन दवा विक्रेताओं को नशे का कारोबार करने के आरोप में उनका लाइसेंस रद कर दिया जबकि एक अन्य दवा विक्रेता का लाइसेंस महीने भर के लिए निलंबित कर दिया गया। साथ ही अन्य दवा दुकानों पर नशे की दवाइयां मिलने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह मुद्दा विधानसभा में भी उठा। बुधवार को आप विधायक जरनैल सिंह ने पश्चिमी दिल्ली इलाके में दवाई दुकानों पर नशे के कारोबार को लेकर सवाल पूछे तो स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि कई दुकानों पर दवा की आड़ में नशे का कारोबार हो रहा है। उन्होंने बताया कि विष्णु गार्डन के साहनी मेडिकोज, चांद नगर स्थित बिंद्रा मेडिकोज, सिमरत मेडिकोज दवा विक्रेताओं को नशे की दवा बेचने के आरोप में उनके लाइसेंस रद कर दिए गए हैं। इसके अलवा चांद नगर स्थित माथुर मेडिकोज दवा विक्रेता का लाइसेंस 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है।
विभाग द्वारा 11 अगस्त को चलाए गए विशेष जांच अभियान में वेस्ट दिल्ली मेडिकोज, माथुर मेडिकोज, ओबराय मेडिकोज और संजय मेडिकोज पर नशे की दवाइयां मिलने पर इन दवा विक्रेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर इन विक्रेताओं के लाइसेंस भी रद कर दिए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि ड्रग्स कंट्रोल विभाग औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1945 के नियम 64 के तहत दवा विक्रेता को लाइसेंस जारी करता है। यह अधिनियम काफी पुराना है। इस नियम को और सख्त करने की जरूरत है। कई दवा विक्रेता जिनके लाइसेंस रद कर दिए गए हैं वे अब आयुर्वेदिक दवा बेचने का लाइसेंस हासिल कर दुकानें चला रहे हैं। क्योंकि आयुर्वेदिक औषधियों की बिक्री के लिए किसी विक्रय लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है।
मालूम हो कि दवा दुकानों पर प्रतिबंधित दवा व अन्य नशे की दवाओं की बिक्री ना हो इसके लिए एक मॉनिटरिंग व्यवस्था की गई है। जिसके तहत ड्रग्स कंट्रोल विभाग को अधिकार है कि वह दवाइयों के थोक व खुदरा विक्रेताओं के पास से सर्वे सैंपल लेकर जांच करे। सैंपल लेने का उद्देश्य मानक दवाओं की उपस्थिति की जांच करना होता है।