सत्य, दया व प्रेम के बिना धर्म के कोई मायने ही नहीं : राजेश्वरानंद
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : सत्य, दया एवं प्रेम के बिना धर्म के कोई मायने ही नहीं है। यह उद्गार
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : सत्य, दया एवं प्रेम के बिना धर्म के कोई मायने ही नहीं है। यह उद्गार श्री राजमाता झंडेवाला मंदिर में स्वामी राजेश्वरानंद महाराज ने व्यक्त किए। शाहदरा के वेस्ट गोरख पार्क स्थित इस मंदिर में जनकल्याण के लिए यज्ञ भी किया गया। संस्था के सह प्रबंधक राम वोहरा ने बताया कि में इस यज्ञ में तथाकथित धार्मिक लोगों की मानसिकता स्वच्छ बनाने की कामना भी की गई। इस यज्ञ में मुख्य अतिथि के रूप में कटरा वैष्णो देवी पुराना दरुड़ के अध्यक्ष सोनू ठाकुर शामिल हुए। आगामी दिनों मे स्वामी राजेश्वरानंद महाराज कटरा वैष्णो देवी में आतंकवाद रूपी राक्षस के नाश की कामना के लिए चंडी महायज्ञ करने जा रहे हैं।
स्वामी राजेश्वरानंद ने कहा कि कुछ संकीर्ण कट्टरवादी धार्मिक मानसिकता के लोगों ने धर्म का रूप ही बिगाड़ दिया है। ईश्वर का जब भी अवतार होता है वह धर्म की स्थापना के लिए होता है, न कि कट्टरता के लिए। धर्म की स्थापना का अर्थ ही सत्य, दया, प्रेम एवं भाईचारा है, जबकि आज धर्म का अर्थ अहंकार, दिखावा व लड़ाई झगड़ा बनकर रह गया है। दया धर्म का मूल है। जिस व्यक्ति में प्रेम नहीं वह धार्मिक हो ही नहीं सकता। कठोरता और धर्म दोनों विपरीत शब्द हैं। ईश्वर ने शबरी, विदुर, धन्ना जाट के घर जाकर जूठन तो खाया पर ईश्वर को जूठन बिल्कुल पसंद नहीं है।
राम वोहरा ने बताया कि सर्वकल्याण अरदास के साथ आतंकवाद रूपी राक्षस के नाश की कामना के साथ यज्ञ में पूर्णाहुति अर्पित की गई।