हलक सूखा तो टूटा हौसला, 13 की बिगड़ी तबियत
संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली कोई जौनपुर से आया था तो कोई बनारस से। मध्य प्रदेश के सतना से लेकर बि
संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली
कोई जौनपुर से आया था तो कोई बनारस से। मध्य प्रदेश के सतना से लेकर बिहार के सीवान से दिल्ली की दूरी तय कर संघर्ष करने पहुंचे बेरोजगार मानव समाज संगठन और रसोइया फ्रंट के प्रदर्शनकारी जंतर- मंतर पर बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते रहे। मंच से अनुरोध किया गया कि प्रदर्शनकारी महिलाओं के लिए नई दिल्ली नगर पालिका परिषद पानी की व्यवस्था करे लेकिन मायूसी ही हाथ लगी। नतीजन, गुरुवार को एक महिला को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जबकि 12 अन्य महिलाएं बेहोश हो गई। लाचार प्रदर्शनकारी कभी खुद को कोस रहे थे तो कभी दिल्ली सरकार की व्यवस्था को।
तीन हजार रसोइयों ने बुलंद की आवाज
मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत कार्यरत रसोइयों ने जंतर मंतर पर अपनी आवाज बुलंद की। सर्वप्रथम नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से जंतर मंतर तक रैली निकाली गई एवं इसके बाद प्रदर्शन किया गया। वाराणसी से आए बेरोजगार युवकों ने भी रसोइयों के साथ ही प्रदर्शन किया। जिस कारण प्रदर्शनकारियों की तादात 3 हजार के पार पहुंच गई। प्रदर्शनकारी जौनपुर, बनारस, इलाहाबाद समेत मध्य प्रदेश और बिहार के जिलों से आए थे।
बूंद-बूंद पानी को तरसे
बेरोजगार मानव समाज संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री वीपी शर्मा ने बताया कि दो बडे़ प्रदर्शन चल रहे थे जबकि अन्य छोटे प्रदर्शन भी हो रहे थे। जबकि पानी का महज एक टैंकर जंतर मंतर पर उपलब्ध था। जिस कारण मारामारी के हालात बन गए। लोग पानी भरने के लिए एक दूसरे को धक्का तक दे रहे थे। टैंकर कुछ ही देर में खाली हो गया जिसके बाद महिलाएं पानी की बोतल लेकर यहां वहां पानी की तलाश करने लगी। लेकिन जंतर मंतर और लुटियन जोन में उन्हें कहीं पानी नहीं मिला। आखिरकार प्रदर्शनकारियों को पानी खरीदना पड़ा। वीपी शर्मा ने बताया कि 13 महिलाओं की तबियत बिगड़ी। एक महिला को एंबुलेंस बुला अस्पताल भर्ती करवाना पड़ा।
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इन मांगों को लेकर दिल्ली पहुंचे थे प्रदर्शनकारी
-मध्यान्ह भोजन योजना में ठेकेदारीकरण बंद हो।
-रसोइयों को प्रशिक्षित कर प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिया जाए।
-बढ़ती महंगाई के मद्देनजर मानदेय 6 हजार रुपये किया जाए।
-खाना बनाने के लिए गैस चूल्हा प्रत्येक विद्यालय में उपलब्ध करवाया जाए।
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जिम्मेदार बोले
हमें इसकी जानकारी नहीं थी। नियम है कि जो लोग धरना प्रदर्शन करते है वो हमें आवेदन करते है, जिसके बाद हम पानी की व्यवस्था करते हैं। हमें बताया जाता है कि कितने प्रदर्शनकारी शामिल होंगे ताकि हम उस हिसाब से पानी के टैंकर भिजवाएं।
अनंत कुमार, चीफ इंजीनियर, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद
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