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दयनीय अवस्था में हो रहा है मनोरोगियों का इलाज

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: राजधानी में अनाथ व बेसहारा मनोरोगियों के इलाज व पुनर्वास का काम इन

By Edited By: Published: Fri, 24 Jun 2016 10:58 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 10:58 PM (IST)
दयनीय अवस्था में हो रहा है मनोरोगियों का इलाज

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:

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राजधानी में अनाथ व बेसहारा मनोरोगियों के इलाज व पुनर्वास का काम इन दिनों भगवान भरोसे है। एक साल से भी अधिक समय से मनोरोगियों के लिए बनकर तैयार पांच अनाथालय अब तक मरीजों की बाट जोह रहे हैं। आलम यह है कि निर्मल छाया में क्षमता से कहीं अधिक मनोरोगियों के पहुंचने से उनका इलाज व पुनर्वास का काम दयनीय परिस्थितियों में किया जा रहा है। दिल्ली का समाज कल्याण विभाग (डीएसडब्यू) और इहबास अस्पताल अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं।

तीस हजारी के मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा की अदालत में शुक्रवार को मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी, परन्तु इहबास के बाद डीएसडब्लू ने भी अपने हलफनामा में नवनिर्मित अनाथालयों की जिम्मेदारी उठाने से इन्कार कर दिया है। अनाथालयों का संचालन नहीं हो पाने के लिए इहबास और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया। मेंटल हेल्थ एक्ट, 1987 की धारा-चार के तहत उनकी जिम्मेदारी स्टेट अथॉरिटी फॉर मेंटल हेल्थ (एसएएमएच) की स्थापना करना है। इसके बाद एसएएमएच की जिम्मेदारी मानसिक मरीजों का इलाज, उनके उत्थान, मनोरोगियों के लिए बने अस्पताल, नर्सिग होम, मनोरोगियों के लिए बने अनाथालय व एम्बुलेंस सेवा आदि को देखना है। इहबास के निदेशक ही एमएएमएच के निदेशक हैं।

हलफनामे में आगे कहा गया कि हमने अनाथालय बना दिए हैं। अब इहबास इनका संचालन करने से बचने के लिए बहाने बना रहा है। अदालत के आदेश पर फिलहाल बेघर मानसिक रोगियों को महिला एवं बाल विकास विभाग (डीडब्यूसीडी) द्वारा चलाए जा रहे निर्मल छाया में भेजा जा रहा है।


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