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भीषण गर्मी ले रही मरीजों व तीमारदारों की परीक्षा

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : दिलशाद गार्डन स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल में इन दिनों भीषण गर्मी

By Edited By: Published: Fri, 06 May 2016 10:41 PM (IST)Updated: Fri, 06 May 2016 10:41 PM (IST)
भीषण गर्मी ले रही मरीजों व तीमारदारों की परीक्षा

जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : दिलशाद गार्डन स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल में इन दिनों भीषण गर्मी के चलते मरीजों व तीमारदारों की भी परीक्षा हो रही है। यहां खासतौर पर सुबह से दोपहर तक जुटने वाली भीड़ में उमस की वजह से मरीजों के साथ आने वाले तीमारदार भी बीमार पड़ रहे हैं। आलम यह हो जाता है कि अस्पताल परिसर में लोगों को बैठने तक के लिए कोई ऐसी जगह नहीं मिल पाती, जहां वह थोड़ी राहत महसूस कर सकें। ऐसे ही हालातों में यहां महिलाओं और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को एक तो मौसम और दूसरी ओर लंबी कतारों में खड़े रहकर अव्यवस्था की मार झेलनी पड़ रही है।

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अस्पताल के रक्त नमूना संग्रहण स्थल के बाहर अपनी जांच कराने के लिए मरीजों को घंटों तक धूप में इंतजार करना पड़ रहा है। कुछ हिस्सों में लोगों के गर्मी से परेशान होकर पेड़ों की छांव तलाशते देखा जाता है। कुछ मरीजों के तीमारदारों का कहना है कि रक्त नमूना संग्रहण कक्ष पहले अस्पताल के अंदर था, मगर जब से यह बाहर आ गया, तब से अधिक मुसीबत हो गई है। वैसे तो यहां लोगों को प्लास्टिक की शेड में खड़ा रहना पड़ता है, मगर भीड़ बढ़ने पर तो पांव रखने तक की जगह नहीं बचती। दोपहर में शेड के नीचे खड़े रहने से कई तीमारदार तक बीमार पड़ गए हैं। शेड गरम होने के बाद तो उस पर लगे सुस्त गति से चलते पंखों की हवा तक गर्म हो जाती है। ऐसे में लोगों को राहत नहीं मिल पाती। सैकड़ों महिलाओं तक को यहां परेशान होना पड़ रहा है उस पर यहां एकमात्र पानी की टंकी भी गर्म पानी देने लगती है।

- मैं गर्भवती हूं, लेकिन यहां बहुत देर से खड़ी ही हूं। यहां पर न ही बैठने की कोई व्यवस्था है और न ही धूप से बचने के लिए कोई व्यवस्था उपलब्ध है। मरीजों के लिए सभी प्रकार की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

- संगीता, जौहरीपुर।

- मैं अपनी मां के साथ यहां सुबह आठ बजे का आया हुआ हूं। मेरी मां की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है और इतनी गर्मी में उन्हें खडे होने में दिक्कत हो रही है। अस्पताल प्रशासन को मरीजों के लिए, यहां भी बैठने के लिए ऐसी व्यवस्था उपलब्ध करानी चाहिए, जैसी भीतरी हिस्सों में है।

- अशोक कुमार, गरिमा गार्डन।


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