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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को था हिंदू होने पर गर्वः मोरारी बापू

महात्मा गांधी सब धर्मो का आदर करते थे, लेकिन वह स्पष्ट रूप से कहते थे कि उन्हें हिंदू होने का गर्व है। वह खुलकर राम नाम लेते थे, लेकिन आज गांधी को मानने वाले लोग ही स्वयं को हिंदू कहने में झिझकते हैं। लोग गांधी का तो नाम लेते हैं,

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2016 08:51 AM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2016 09:02 AM (IST)
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को था हिंदू होने पर गर्वः मोरारी बापू

नई दिल्ली (राज कौशिक)। संत मोरारी बापू ने कहा कि डरे हुए लोग राष्ट्र का कल्याण नहीं कर सकते। राष्ट्र के कल्याण के लिए कुछ निर्णय लेने के लिए हौसला चाहिए।

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राजघाट पर रामकथा के आठवें दिन बापू ने कहा कि महात्मा गांधी सब धर्मो का आदर करते थे, लेकिन वह स्पष्ट रूप से कहते थे कि उन्हें हिंदू होने का गर्व है। वह खुलकर राम नाम लेते थे, लेकिन आज गांधी को मानने वाले लोग ही स्वयं को हिंदू कहने में झिझकते हैं। लोग गांधी का तो नाम लेते हैं, मगर गांधी के राम का नाम लेने से डरते हैं।

डरे हुए लोग क्या करेंगे राष्ट्र का कल्याण

बापू ने कहा कि डरे हुए लोग राष्ट्र का क्या कल्याण करेंगे? बापू ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन उसे दूसरे लोगों पर थोपना नहीं चाहिए। अपने धर्म की कुछ बातों को अछा बताते हुए किसी भी तरह से दूसरों को प्रभावित कर अपने धर्म को स्थापित करने की चेष्टा गलत है।

बापू ने कहा कि विश्व में सेतुबंध की बहुत जरूरत है। रहमान वाले हनुमान के पास जाएं और हनुमान वाले रहमान के पास जाएं। विनोबा जी ने कहा है कि दो धर्मो में कभी झगड़ा नहीं होता। झगड़ा सदैव दो अधर्मो में ही होता है।

दूसरे के सत्य को भी कुबूल करो

मोरारी बापू ने कहा कि बहुत से लोग सत्य के मार्ग पर चल रहे हैं, लेकिन अक्सर लोग दूसरों के सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते। मेरा सत्य ही सही है, दूसरे का सत्य सही नहीं है, इस मानसिकता को छोड़ना होगा।

उन्होंने कहा कि अपना सत्य विनम्रता से पेश करो, उसे थोपने की जिद मत करो। मेरे पास मोमबत्ती है, यह मेरा सत्य है। दूसरे के पास दीया है, यह उसका सत्य है। मगर आकाश में सूरज है, यह हम सबका सत्य है। अगर सब सत्य स्वीकार कर लिए जाएं तो विवाद की गुंजाइश ही नहीं रहेगी।

साधु को अधिक सुविधा मत दो

मोरारी बापू ने कहा कि साधु दुनिया के लिए बहुत कीमती है। उसे एक सीमा से यादा सुविधा नहीं दी जानी चाहिए। साधु को कभी साधन नहीं बनाना चाहिए। साधु को साधन बनाते हुए प्रतिष्ठा या अन्य कुछ प्राप्त करने के प्रयास नहीं किए जाने चाहिए।

लक्षणों से जानो कौन है संत

बापू ने संत के लक्षण बताए। उन्होंने कहा कि जिसे कभी महंत बनने की इछा न हो, जिसके संतत्व का कभी अंत न हो, जो कभी तंत (जिद) न करे, जो प्रतिदिन जीवंत हो और जिसका जीवन बिल्कुल सादा हो, वह संत है।
उन्होंने कहा कि संत में बंदगी और सादगी साथ-साथ चलती हैं।


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