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रविवार विशेष : नदी में बसा सागर

अरविंद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली तैराकी के शौक ने उसे जीवन रक्षक बना दिया। जितनी उम्र है, उसस

By Edited By: Published: Sun, 29 Nov 2015 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2015 01:00 AM (IST)
रविवार विशेष : नदी में बसा सागर

अरविंद कुमार द्विवेदी, दक्षिणी दिल्ली

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तैराकी के शौक ने उसे जीवन रक्षक बना दिया। जितनी उम्र है, उससे कहीं ज्यादा लोगों की जान बचा चुका है नदी किनारे रहने वाला सागर। कालिंदी कुंज घाट और मदनपुर खादर से होकर गुजरने वाले आगरा कैनाल में जब-तब ऐसी घटनाएं होती ही रहती हैं जहां सागर कश्यप (15) की जरूरत पड़ती है। आज इस क्षेत्र में नदी में बसने वाले इस सागर को हर कोई जानता है। सागर को इस बात की खुशी है कि उसने कई लोगों की जान बचाई है। सर्वोदय बाल विद्यालय में 10वीं का छात्र सागर तालकटोरा स्पो‌र्ट्स कॉम्प्लेक्स में तैराकी का नियमित अभ्यास करता है। वह कहता है कि यमुना को लोगों ने इस कदर प्रदूषित न किया होता तो वह अभ्यास भी यहीं प्रैक्टिस भी यहीं करता। कालिंदी कुंज घाट पर विश्वकर्मा पूजा से शुरू होने वाला उत्सवी माहौल छठ पूजा तक चलता है। इस दौरान घाट पर जुटती भक्तों की भीड़ के साथ ही जैसे सागर की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। छठ पूजा के बाद अब सागर काफी निश्चिंत नजर आ रहा है।

-राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भी मिला :

सागर को वैसे तो तैराकी में कई पुरस्कार मिल चुके हैं। लेकिन वर्ष 2013 में तीन बच्चों को आगरा कैनाल में डूबने से बचाने के लिए उसे भारतीय बाल कल्याण परिषद की ओर से प्रतिष्ठित राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। सागर को विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी कई पुरस्कार मिले हैं। संसाधनों की कमी झेल रहे सागर का कहना है कि वह तैराकी में देश के लिए मेडल लाना चाहता है। सागर की मां बबिता ने बताया कि उन्हें बेटे के भविष्य की चिंता है क्योंकि इस काम का कोई स्कोप नहीं है। इसलिए वह चाहती हैं कि सागर अच्छी पढ़ाई करके प्रोफेशनल तैराक बने। सागर मदनपुर खादर गांव में अपने परिवार के साथ रहता है।

-पिता से सीखी तैराकी :

सागर ने अपने पिता भोला कश्यप से सात साल पहले तैराकी सीखना शुरू किया था। नदी में मछली पकड़ना भोला का खानदानी पेशा है। उसके पिता व दादा भी यही काम करते थे। भोला ने नदी में ही सागर को तैराकी सिखाना शुरू किया। कुछ ही माह में सागर ने इसमें अच्छी पकड़ बना ली। तैराकी सीखने के दौरान कई बार ऐसा हुआ जब सागर ने किसी डूबते की मदद की। एक बार तो उसने तीन लड़कों को डूबने से बचाया।

-नदियों की चिंता :

सागर कहता है कि किसी डूबते को बचाने के लिए वह कभी भी नदी में छलांग लगा देता है। बहुत छोटा था तभी से यमुना का किनारा उसके खेलने की जगह बन गया था। वह कहता है कि पांच साल पहले भी यमुना प्रदूषित थी। लेकिन तब इसका पानी इतना काला नहीं था। यह दिन पर दिन प्रदूषित होती जा रही है। लोगों को इसे साफ-सुथरा रखने के बारे में सोचना चाहिए।

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