रविवार विशेष : संगीत यंत्रों का घराना, क्रिप्टो साइफर
मनु त्यागी, नई दिल्ली ¨हदुस्तानी संगीत यंत्रों पर साज छेड़ने की जरूरत है फिर तो बस इनके सुर नहीं थम
मनु त्यागी, नई दिल्ली
¨हदुस्तानी संगीत यंत्रों पर साज छेड़ने की जरूरत है फिर तो बस इनके सुर नहीं थमते। भारतीय शास्त्रीय संगीत यंत्रों की दीवानगी जहा भारतीयों के दिलों में विराजमान है वहीं विदेशी भी इनकी अद्भाुत-अतुल्य तरंगों पर मंत्रमुग्ध रहे हैं। लेकिन अब तबला-ढोलक की थाप, वो रागों की रसता, सितार-सारंगी और हार्मोनियम की मधुरसता कमती जा रही है। तकनीक के बदलते बढ़ते और भागते युग में इन्हीं भारतीय संगीत यंत्रों को सॉफ्टवेयर के जरिये संजो रहा है क्रिप्टो साइफर (ष्ह्म4श्चह्लश्र ह्य4श्चद्धद्गह्म)। इतना ही नहीं विदेश तक भी भारतीय संगीत का जादू बरकरार रख रहा है।
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-कुछ यूं होती है संरचना :
सॉफ्टवेयर संगीत यन्त्र। एक ऐसा यंत्र है जिसमें कंप्यूटर की मदद से मिडी की-बोर्ड द्वारा ध्वनिया उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसा पहली बार संभव हो पाया है कि हिंदुस्तान के विलुप्त होते यन्त्रों को उनकी सहजता से सॉफ्टवेयर संगीत की दुनिया में प्रस्तुत किया जा रहा है। क्रिप्टो साइफर के निदेशक 30 वर्षीय सुमित बताते हैं कि एक-एक यंत्र गहनता से किए गए शोध के बाद ही उत्पन्न होता है। सॉफ्टवेयर संगीत यन्त्र जिस प्रोसेस से बनते हैं उन्हें सैंपलिंग कहा जाता है। आर्टिस्ट के साथ मिलकर कुछ प्रयोग किए जाते हैं जब लगता है कि प्रयोग सफल होने की दिशा में है तो कलाकार के साथ पखवाड़े तक रिकॉर्डिंग की जाती है। यह जानकर हैरत होगी कि एक सॉफ्टवेयर संगीत यंत्र गढ़ने में तकरीबन 20 हजार तक सैंपल रिकॉर्ड करने पड़ते हैं। यह सैंपल तरह तरह के एडवास माइक्रोफोन मिक्सिंग तकनीक के साथ साउंड प्रूफ कंडीशन में रिकॉर्ड किए जाते हैं। इसके बाद सैंपल्स को संगठित कर उन्हें कोडिंग और ग्राफिक के जरिये इनसे बना हुआ म्यूजिक कंपोज किया जाता है ताकि कंपोजर्स हमारे यंत्र की गुणवत्ता और उस पर किए गए शोध की गहनता को परख सकें। कंपोजर्स का मस्तिष्क हर वक्त कुछ गुनता रहता है। उसे इसके साथ में तलाश रहती है मधुर यंत्रों की। ऐसे में भारतीय शास्त्रीय संगीत के सॉफ्टवेयर यंत्र मिल जाते हैं तो ये इन यंत्रों को पुनर्जीवित हो जाने का मौका मिल जाता है।
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-लोगों को लगा पैसा बर्बाद कर रहा है :
सुमित बताते हैं कि चार साल पहले की बात है सुबह तो हर रोज ही खास होती है लेकिन एक दिन की सुबह बेहद खास हो गई। अचानक सॉफ्टवेयर संगीत यंत्र बनाने की धुन छिड़ गई। शुरुआत में जब प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया तो उस वक्त जिन कलाकारों को रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया जाता था तो उनकी यही सोच होती थी कि मा-बाप का पैसा खराब कर रहा है। एक ही सुर हजार बार तक रिकॉर्ड करना कोई आसान बात भी नहीं है और आज के समय में किसी में इतना धैर्य भी नहीं है। ऐसे में कलाकार बोर हो जाते थे और इस सॉफ्टवेयर की अहमियत नहीं समझते थे। सुमित बताते हैं कि शुरू में कलाकार जैसे पेशे में शरीक होने वालों को रिकॉर्डिंग के लिए प्रस्तुति देते वक्त धैर्य खोते देखता तो बहुत दुख होता था। लेकिन फिर ऐसे साउंड लवर्स की तलाश की जो धुनों को हर दम गुन गुनाना पसंद करते हैं। धुनों को सहजता से समझते हैं। संगीत के धैर्य को महसूस करते हैं। आज उसी धैर्य और लगन का फल है कि पाच लोगों की टीम के साथ सॉफ्टवेयर के जरिये भारतीय सॉफ्टवेयर संगीत यंत्र विदेश में तरजीह पा रहे हैं। देश सहित विदेश में ऑस्कर, ग्रैमी, बफ्तास जैसे पुरस्कार पाने वाले कंपोजर्स डेविड बकले, जॉन स्वीहार्ट, मिशेल मास, संचित बलहारा, एड्रियानो क्लेमेंट, नंदिता दास सहित शकर टुकर आदि क्रिप्टो साइफर के जरिये भारतीय सॉफ्टवेयर संगीत यंत्र पसंद कर रहे हैं और लगातार हार्मोनियम, तबला अन्य यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग भी कर रहे हैं।
-इन यंत्रों का नहीं कोई जवाब
ज्यादा तर हमारे साउंड डिजाइन किए हुए प्रोडक्ट हिट होते हैं लेकिन हमारा सोलो तबला सॉफ्टवेयर बहुत हिट हुआ है जिसे हमने बनारस घराने के मशहूर कायदा डेमो के रूप प्रस्तुत किया था। सोलो ढोलक जिसकी थाप अब बहुत कम सुनने को मिलती है लेकिन सॉफ्टवेयर यंत्र पर काफी एडवास प्रोडक्ट रहा। इसमें 'धीर-धीर बोल' का कायदा भी पेश किया। जलतरंग को चम्मच से और अनेक अलग अलग तरीके से रिकॉर्ड किया फिर हमने टेक्नोलॉजी की मदद से इसे अनेक तरीके से बदला। इस तरंगस ने तो विदेशी कंपोजर्स का दिल ही जीत लिया। सुमित के सहयोगी हेमानंद बताते हैं कि सॉफ्टवेयर यन्त्र सिर्फ प्रोफेशनल फिल्म/टीवी/गेम कम्पोजर्स के लिए ही है। आजकल अमूमन कंपोजर्स कंप्यूटर पर ही म्यूजिक बनाते हैं इसलिए उनके लिए इस तरह के सॉफ्टवेयर की खास माग रहती है जिसे वे आसानी से कंपोज कर सकें। -टीम के बगैर कहा संगीत :
अपनी टीम से मिले सहयोग से आत्मविश्वासी सुमित बताते हैं कि इस धैर्यवान काम की सफलता बगैर टीम के संभव नहीं थी। हर सहयोगी का सहयोग काबिले तारीफ है। कीर्ति तनेजा, ऋषभ राजन, नीरज सक्सेना, संतोष कुमार और वीडियो टीम में हेमानंद ये सभी हरदम नवनीत सोच के साथ संगीत के साज संजो रहे हैं। -मकसद बदल रहे हैं : पेशे से साउंड इंजीनियर व दिल्ली के रहने वाले सुमित बताते हैं कि चार साल पहले से काम शुरू किया था तब मकसद था कि यंत्रों को संजोया जा सके। देश-विदेश में ये यंत्र जीवित रहें, इनकी जरूरत बनी रहे। आज अब इसके आगे लक्ष्य बन गया है कि पेशेवर भारतीय संगीतकारों को इसमें ज्यादा से ज्यादा रोजगार भी मिल सके। आने वाली पीढ़ी एडवास ऑडियो कोर्सेज डिजाइन भी कर पाए। इसके लिए जल्द ही एक ऑनलाइन रिकॉर्डिंग प्लेटफार्म लाच किया जाएगा जिसमें रोजगार के लिए आवेदन कर सकेंगे।