डीटीसी सिक्योरिटी स्टाफ को पुलिस के समान वेतन नहीं
अमित कसाना, नई दिल्ली दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) आर्थिक संकट से गुजर रहा है। दिल्ली पुलिस व डीटीस
अमित कसाना, नई दिल्ली
दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) आर्थिक संकट से गुजर रहा है। दिल्ली पुलिस व डीटीसी के सिक्योरिटी स्टाफ के काम में काफी अंतर है। ऐसे में सिक्योरिटी स्टाफ को दिल्ली पुलिस के सामान वेतन नहीं दिया जा सकता है। हाई कोर्ट ने डीटीसी के इन तर्को को स्वीकार करते हुए श्रम अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें डीटीसी के सिक्योरिटी स्टाफ को दिल्ली पुलिस के सामान वेतन देने का निर्देश दिया गया था।
डीटीसी सिक्योरिटी स्टाफ यूनियन ने इस मामले को लेकर श्रम अदालत में याचिका दायर की। अदालत ने स्टाफ को दिल्ली पुलिस के सामान वेतन देने का आदेश दिया था। इसी आदेश को डीटीसी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाया।
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग व मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने अपने फैसले में संविधान के अनुच्छेद 14 (एक वेतन एक काम) की व्याख्या करते हुए कहा कि समान वेतन केवल उन्हीं लोगों को दिया जा सकता है कि जिनका काम भी एक जैसा हो।
डीटीसी ने अदालत में कहा कि दिल्ली पुलिस का काम राजधानी में कानून व्यवस्था बनाए रखना है। वह लोगों के अधिकार व सामान के रक्षक होते हैं, जबकि डीटीसी के सिक्योरिटी स्टाफ का काम परिसर में सामान की सुरक्षा और वहां आवाजाही करने वाले लोगों पर नजर रखना है।
डीटीसी सिक्योरिटी स्टाफ यूनियन ने अदालत को बताया कि स्टाफ में डिप्टी सिक्योरिटी ऑफिसर, सिक्योरिटी ऑफिसर, असिस्टेंट सिक्योरिटी ऑफिसर, सिक्योरिटी हवलदार, सिक्योरिटी गार्ड हैं। वर्ष 1962 तक दोनों विभागों में वेतन समान था। 1962 में वेतन आयोग के मद्देनजर दिल्ली पुलिस का वेतन तो बढ़ा दिया गया, लेकिन डीटीसी में स्टाफ का वेतन नहीं बढ़ा। डिप्टी सिक्योरिटी ऑफिसर, सिक्योरिटी ऑफिसर को डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस व इंस्पेक्टर के सामान वेतन दिया जा रहा है, लेकिन अन्य पदों को विभाग द्वारा सही वर्ग में नहीं बांटा गया है और उन्हें पूरा वेतन नहीं मिल रहा है। दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर डीटीसी के असिस्टेंट सिक्योरिटी इंस्पेक्टर के बराबर होता है। इसी तरह अन्य पदों पर भी दिल्ली पुलिस के पदों के अनुसार वेतन नहीं दिया जा रहा है।