स्तनपान नीतियों में सुधार की जरूरत
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : शिशुओं के स्तनपान की स्थिति पर जारी समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि अ
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : शिशुओं के स्तनपान की स्थिति पर जारी समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रभावी नीतियों, बजट का अभाव व निगरानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण देश में स्तनपान दर कम है। इस रिपोर्ट को ब्रेस्टफीडिंग प्रोमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया (बीपीएनआइ) व पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क ने मिलकर तैयार किया है। इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि स्तनपान बढ़ाने के लिए जरूरी दस मानकों के मामले में यहां की व्यवस्था खरी नहीं उतरती। इसलिए स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए नीतियों में सुधार करने की सिफारिश की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार यहां के अस्पताल शिशुओं को स्तनपान कराने के अनुकूल नहीं हैं। प्रसव के बाद कामकाजी महिलाओं को इतना अवकाश नहीं मिलता कि वह छह महीने तक लगातार स्तनपान करा सकें। जन्म के बाद एक घंटे के अंदर बच्चों को स्तनपान करना जरूरी होता है और छह महीने तक स्तनपान जरूरी है। इसे ध्यान में रखकर ऐसी नीति तैयार करनी होगी जिससे कि स्तनपान को बढ़ावा मिले। बीपीएनआइ के समन्वयक डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा कि स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1992 में शिशु अनुकूल अस्पताल कार्यक्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर कई देशों में शुरू किया गया। भारत में भी इस पर काम शुरू हुआ। लेकिन इसकी निगरानी नहीं हो पाने की वजह से यह सफल नहीं हो पाया। इसे बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों ने इस पर सकारात्मक आश्वासन दिया है। बीपीएनआइ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. जेपी दधीच ने कहा कि स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र नीति तैयार करके काम करना होगा।