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मोदी और केजरी की मुलाकात से क्‍या पिघलेगी सियासी रिश्तों पर जमी बर्फ ? पढ़े खबर

केंद्र व दिल्ली की हुकूमत के बीच जारी तनातनी के बीच सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिल तो आए लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस मुलाकात से सियासी रिश्तों पर जमी तल्खी की बर्फ पिघलेगी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2015 08:51 AM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2015 12:22 PM (IST)
मोदी और केजरी की मुलाकात से क्‍या पिघलेगी सियासी रिश्तों पर जमी बर्फ ? पढ़े खबर

नई दिल्ली [अजय पांडेय] । केंद्र व दिल्ली की हुकूमत के बीच जारी तनातनी के बीच सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिल तो आए लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस मुलाकात से सियासी रिश्तों पर जमी तल्खी की बर्फ पिघलेगी।

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केन्द्र की हुकूमत के बीच तनातनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद केंद्रीय गृह मंत्रालय दिल्ली सरकार के कई फैसलों को उलट चुका है। छह महीने पुरानी सरकार के दो दर्जन से ज्यादा फैसलों को उपराज्यपाल नजीब जंग पलट चुके हैं।

दिल्ली पुलिस एक के बाद एक आम आदमी पार्टी के तीन विधायकों को गिरफ्तार कर चुकी है। आम आदमी पार्टी सरकार भी लगातार जवाबी गोले दाग रही है। सियासी जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री का यह कहना बिल्कुल सही है कि दिल्ली के विकास के लिए केंद्र का सहयोग बहुत जरूरी है।

उनकी यह बात भी सोलह आने सच है कि इस मामले में सियासी मतभेदों को किनारे रखा जाना चाहिए, लेकिन दिल्ली में कायम सियासी माहौल को देखते हुए इस नसीहत पर अमल होना आसान नहीं है। विवाद पैदा करने वाले मुद्दों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है।

हालांकि यह जरूर कहा जा रहा है कि यदि सहयोग के लिए ताली दोनों हाथ से बजी तो उसकी आवाज जरूर सुनी जा सकती है। सियासी तल्खी के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को जन्मदिन की बधाई दी तो मुख्यमंत्री ने भी पूरी गर्मजोशी दिखाई। इसी संवाद के बहाने मंगलवार को हुई मुलाकात की भूमिका भी तैयार हुई।

दिल्ली की हुकूमत से लंबे समय से जुड़े नेताओं की मानें तो जब केन्द्र में पी वी नरसिम्हा राव की सरकार चल रही थी, तब पहली बार दिल्ली में मदनलाल खुराना की अगुवाई में सरकार बनी। कई ऐसे मौके आए जब केन्द्र सरकार के फैसलों से असहज स्थिति बनी लेकिन जब-जब ऐसा हुआ, खुराना ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात कर मामले सुलझाए।

ऐसी ही बातें शीला दीक्षित के शासनकाल को लेकर भी कही जाती हैं। कहते हैं कि दीक्षित की उपराज्यपाल तेजेन्द्र खन्ना से कभी नहीं बनी, अधिकारियों के तबादले को लेकर गृह मंत्रालय से कई बार तनातनी भी हुई लेकिन राजनीतिक मुलाकातों ने ऐसी तनातनी को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई।

लिहाजा, यह उम्मीद करना गलत नहीं होगा कि यदि प्रधानमंत्री मोदी से मुख्यमंत्री की मुलाकात ने असर दिखाया तो रिश्तों की तल्खी में कमी नजर आए। हालांकि दिल्ली में कायम मौजूदा सियासी मंजर को देखते हुए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।


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