मालीवाल ने रातभर सुना महिलाओं का दर्द
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल शुक्रवार रात अचानक जेल रोड स्थ
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल शुक्रवार रात अचानक जेल रोड स्थित निर्मल छाया कॉम्प्लेक्स में बने नारी निकेतन पहुंची और यहां रहने वाली लड़कियों व महिलाओं की स्थिति का जायजा लिया। मालीवाल ने पूरी रात उनके साथ गुजारी। इस दौरान उन्होंने उनकी समस्याएं सुनीं। वे शनिवार सुबह सात बजे यहां से विदा हुई। उनके साथ महिला आयोग की सदस्य सारिका चौधरी व प्रोमिला गुप्ता भी थी।
मालीवाल ने कहा कि नारी निकेतन में व्यवस्थाओं को लेकर बात की जाए तो यहा सफाई का बहुत बुरा हाल है। नारी निकेतन में मेंटली चैलेंज्ड व सामान्य लड़कियों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौैचालय नहीं हैं। इनकी संख्या भी बहुत कम है। खाना भी बहुत अच्छी गुणवत्ता का नहीं दिया जाता है। पीने का पानी भी पूरे दिन नहीं आता। दिन में अगर प्यास लगे तो नल का खारा पानी पीना पड़ता है। रात के समय इतने मच्छर होते हैं कि सोना मुश्किल होता है।
नारी निकेतन के अलावा निर्मल छाया कॉम्प्लेक्स में एक शार्ट स्टेड होम भी है, जहा बेड 45 हौं, लेकिन रहने वाली लड़कियों की संख्या 90 है।
मालीवाल ने बताया कि नारी निकेतन के अधिकारियों की गैरमौजूदगी में वह यहां रहने वाली लड़कियों व महिलाओं से बात करना चाहती थी, इसलिए बगैर सूचना के वह रात में आईं। यदि वे दिन के समय आती तो शायद वे अपनी बात खुलकर न बता पातीं। यहां जो कमियां व खामियां पाई गई हैं उन्हें दूर करने के बारे में एक दिन नारी निकेतन के अधिकारियों से मिलकर बात की जाएगी। फिर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली सरकार को सौंपी जाएगी।
एक साथ रह रहीं सामान्य व विक्षिप्त महिलाएं
महिलाओं के बीच रात बिताने के क्रम में जो अनुभव किया उसे साझा करते हुए मालीवाल ने कहा कि नारी निकेतन में मानसिक रूप से विक्षिप्त (मेंटली चैलेंच्ड) और सामान्य महिलाओं को एक साथ रखा गया है, जिससे स्थिति काफी असामान्य बनी हुई है। पुलिस कई बार किसी केस में लड़कियों को यह कहकर नारी निकेतन लेकर आती है कि उन्हें एक-दो दिन में वापस लेकर जाएंगे, लेकिन फिर वापस लेने नहीं आते। उन्होंने बताया कि नारी निकेतन में घरेलू हिंसा(डोमेस्टिक वॉलियंस), ट्रैफिकिंग, रास्ता भटकने, मानसिक रूप से विक्षिप्त और अंडर ऐज में किसी के साथ बिना अभिभावक की मर्जी के शादी करने वाली अधिकतर लड़कियां व महिलाएं हैं। कई लड़कियां ऐसी भी हैं जिनका मेंटल हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट हो रहा होता है और अभिभावक छोड़कर चले जाते हैं और वापस लेने नहीं आते हैं। इवहास इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूंमन विहेवियर एंड लाइफ साइंस (आईबीएचएएस) हॉस्पिटल से आने वाली कई लड़कियां भी यहा थी।
घर का पता मालूम फिर भी नहीं जा पा रहीं
नारी निकेतन में रह रही बंगाल और असम की लड़कियों ने बताया कि उन्हें दिल्ली नौकरी दिलाने के लिए लाया गया था, लेकिन जैसे ही वह रेलवे स्टेशन पर उतरी तो उन्हें इस बात का आभास हुआ कि उन्हें यहा बेचने के लिए लाया गया है। दोनों ने पुलिस की मदद ली तो वे बच गई लेकिन पुलिस उन्हें यहा नारी निकेतन में छोड़ गई। वे यहां से बाहर निकलना चाहती हैं। उन्हें अपने घर का भी पता मालूम है, लेकिन उन्हें यहा से निकालने वाला कोई नहीं है। नारी निकेतन में जेल की तरह उनका एक-एक दिन कट रहा है। अधिकतर लड़किया यहा से बाहर निकलना चाहती हैं। मालिवाल ने बताया कि उन्हें एक लड़की ऐसी भी मिली, जिसे जीबी रोड से वहा आने वाले एक क्लाइंट से छुड़वाया गया है। कई लड़कियां ऐसी हैं जो अपनी बात न तो कह सकती हैं और न ही कुछ सुन सकती हैं। ऐसी लड़कियों को ट्रेनिंग देने की जरूरत है, ताकि वह अपनी बात दूसरों को समझा सकें।