पारंपरिक व कंप्यूटर तकनीक से होता है एक समान रक्तस्राव
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : कंप्यूटर की मदद से तैयार किए गए जिग्स से घुटना बदलने का चलन बढ़ रहा है। डॉ
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : कंप्यूटर की मदद से तैयार किए गए जिग्स से घुटना बदलने का चलन बढ़ रहा है। डॉक्टर इसे बेहतर बता रहे हैं, लेकिन एम्स में किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि रक्तस्राव के मामले में यह तकनीक घुटना बदलने की पुरानी पारंपरिक तकनीक से ज्यादा अलग नहीं है। बल्कि कंप्यूटर की मदद से घुटना बदलने पर भी मरीज का करीब-करीब उतना ही रक्तस्राव होता है जितना पारंपरिक तकनीक से।
हाल ही में इस अध्ययन को एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है। जिसमें कहा गया है कि जून 2012 से लेकर नवंबर 2013 के बीच एम्स में 59 मरीजों पर यह अध्ययन किया गया। जिसमें पारंपरिक तकनीक से 28 मरीजों की सर्जरी कर घुटना बदला गया। जबकि 29 मरीजों का घुटना बदलने में कंप्यूटर असिस्टेड तकनीक का सहारा लिया गया। यह देखा गया कि सर्जरी के चलते मरीजों का कितना रक्तस्राव होता है। दोनों समूहों के मरीजों को होने वाले रक्तस्राव का आकलन किया गया। जिसमें पाया गया कि पारंपरिक तकनीक से घुटना बदलने की सर्जरी करने पर औसतन 980 मिलीलीटर रक्तस्राव हुआ। जबकि कंप्यूटर की मदद से सर्जरी करने पर 970 मिलीलीटर रक्तस्राव हुआ। अध्ययन में डॉक्टरों ने कहा कि दोनों तकनीकों में मरीजों को करीब करीब एक समान रक्तस्राव देखा गया। हालांकि पहले हुए कई अध्ययनों में यह कहा गया है कि कंप्यूटर की मदद से घुटना बदलने पर पारंपरिक तकनीक के मुकाबले रक्तस्राव कम होता है। जबकि एम्स का यह अध्ययन उससे अलग है। हाल में हुए दो अन्य अध्ययनों में भी यही बात कही गई है।