समुद्र की गहराई में डूबे इतिहास से उठ सकेगा पर्दा
विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली समुद्र की गहराई में कई सालों पहले डूबे जहाजों के अवशेषों से इतिहास के बार
विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली
समुद्र की गहराई में कई सालों पहले डूबे जहाजों के अवशेषों से इतिहास के बारे में अब फिर से पता लगाया जा सकेगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की महत्वपूर्ण विंग अंत: जलीय पुरातत्व (अंडर वाटर आर्कियोलॉजी) को अब फिर से सक्रिय किया जा रहा है। इसी वजह से दिल्ली के लालकिला स्थित इस विंग को गोवा शिफ्ट किया जा रहा है। गोवा में एएसआइ ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियनोग्राफी के साथ करार किया है। इसके तहत यह इंस्टीट्यूट समुद्र के अंदर छीपे इतिहास से पर्दा उठाने में एएसआइ की मदद करेगा।
गौरतलब है कि एएसआइ के अंत: जलीय पुरातत्व विंग का काम देश के जलीय क्षेत्र (समुद्री क्षेत्र) में डूबी हुई पुरातात्विक धरोहर का पता लगाना व उसके अवशेष को निकाल कर लाना है। इस विंग ने 2002 में लक्ष्यद्वीप के पास अरब सागर में 1792 में डूबे एक जहाज से गोताखोरों की मदद से तोप, बर्तन व अन्य पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं निकाल कर लाने में सफलता पाई थी। यही नहीं, इस विंग ने 2007 में गुजरात में भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका के बारे में कुछ अनछुए पहलुओं को उजागर किया था। 2002 में इस विंग ने इंडस नाम के उस जहाज को ढूंढने के लिए पहल शुरू की थी जो 1885 में यहां से इंग्लैंड जाते समय श्रीलंका की सीमा वाले उत्तरी समुद्री क्षेत्र में डूब गया था। इस जहाज में मध्य प्रदेश के भरहुत स्तूप की बहुत सी महत्वपूर्ण मूर्तियां भी थीं। उस समय भारत-श्रीलंका के बीच संबंध बेहतर नहीं होने के कारण इस विंग ने जहाज ढूंढने का काम रोक दिया था। क्योंकि यह काम श्रीलंका सरकार के सहयोग से होना था। इस विंग ने पुन: इस योजना पर 2008 में काम शुरू किया था, लेकिन इससे जुड़े विशेषज्ञ बीच में ही काम छोड़कर चले गए। वर्ष 2009 में इस विंग में काम ठप पड़ गया था। जिसके कारण इंडस जहाज की खोज का काम बीच में ही रुक गया। सरकार ने भी इस विंग को बजट देना बंद कर दिया। इस विभाग में पहले तीन अंत:जलीय पुरातत्व विशेषज्ञों सहित छह से अधिक अधिकारी होते थे, मगर इस समय केवल दो ही अधिकारी हैं।
विशेषज्ञों की भर्ती की जा रही है
एएसआइ के अतिरिक्त महानिदेशक रामनाथ सिंह फोनिया ने बताया कि इस विंग में विशेषज्ञों की भर्ती की जा रही है। लालकिले से विभाग को शिफ्ट करने का काम भी तेजी से चल रहा है। इसी महीने कुछ विशेषज्ञों को भर्ती किया जाएगा। इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ भी एएसआइ का साथ देंगे। उम्मीद है कि अब यह विभाग फिर से समुद्र में डूबे जहाजों के अवशेषों से इतिहास का पता लगा पाएगा।