एनजीटी ने अक्षरधाम मंदिर प्रशासन पर लगाया जुर्माना
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिना पर्यावरण संबंधी मंजूरी लिए यमु
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिना पर्यावरण संबंधी मंजूरी लिए यमुना नदी के बाढ़ मैदानों में अक्षरधाम मंदिर का विस्तार करने पर मंदिर प्रशासन पर जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने कहा है कि विस्तार के दौरान मंदिर के निर्माण कार्य में आई कुल लागत (एनएच 24 सहित) का पांच प्रतिशत उसे जुर्माने के रूप में देना होगा। एनजीटी ने इस बारे में प्रिंसिपल कमेटी पर तीन माह के भीतर रिपोर्ट तैयार कर देने के निर्देश जारी किए हैं।
सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार ने कहा कि यमुना पुनरोद्धार के लिए बनाई गई प्रिसिंपल कमेटी इस बात की जांच करे कि क्या मंदिर का विस्तार यमुना नदी के बाढ़ मैदानों में किया गया है। क्या मैली सी निर्मल यमुना रिवाइटलाइजेशन प्रोजेक्ट 2017 के तहत बनाई गई प्रिंसिपल कमेटी के निर्देशों का पालन भी हो रहा है या नहीं। इससे पहले एनजीटी ने 13 जनवरी को मामले में पहली प्रिंसिपल कमेटी का गठन कर यमुना नदी के पुनरोद्धार के लिए निर्देश जारी किए थे। वहीं, गत 7 जुलाई को एनजीटी ने दूसरी कमेटी का गठन कर पर्यावरण मंत्रालय के दो मेमोरेंडम को रद कर दिया था। इसके तहत जिन प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है या फिर जिनका निर्माण कार्य पूरा हो चुका है उन्हें पर्यावरण संबंधी अनुमति दी गई थी। एनजीटी याचिकाकर्ता मनोज मिश्रा की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बताया गया था कि मंदिर में वर्ष 2011 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था। जबकि राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण ने जुलाई 2013 से इसे पर्यावरण संबंधी अनुमति दी थी। याची का कहना था कि यह पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 का उल्लंघन है। मंदिर प्रशासन ने पर्यावरण संबंधी मंजूरी लेने के लिए उक्त मेमोरेंडम में से एक का उपयोग किया है।