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CFSL रिपोर्ट से खुलासा, खुद की गोली से मारा गया था मनोज वशिष्ठ

सागर रत्ना रेस्तरां में शातिर ठग मनोज वशिष्ठ व सेल के इंस्पेक्टर के बीच हुई गुत्थम-गुत्थी के दौरान मनोज की पिस्टल से चली गोली से ही उसकी मौत हुई है। सीएफएसएल की रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2015 07:43 AM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2015 08:14 AM (IST)
CFSL रिपोर्ट से खुलासा, खुद की गोली से मारा गया था मनोज वशिष्ठ

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। सागर रत्ना रेस्तरां में शातिर ठग मनोज वशिष्ठ व सेल के इंस्पेक्टर के बीच हुई गुत्थम-गुत्थी के दौरान मनोज की पिस्टल से चली गोली से ही उसकी मौत हुई है। सीएफएसएल की रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है।

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हालांकि, एसआइटी प्रमुख मध्य जिला के संयुक्त आयुक्त एसके गौतम ने रिपोर्ट आने की बात से इन्कार किया है। वहीं, पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने मंगलवार को इस मसले पर कहा कि एसआइटी की जांच जारी है और वह काफी आगे पहुंच गई है।

मुठभेड़ की सच्चाई के बारे में जल्द रिपोर्ट मिल जाएगी। लेकिन उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सोमवार छह जुलाई को सीएफएसएल की रिपोर्ट आ गई है। इसे गोपनीय रखा गया है। इसमें कहा गया है कि मनोज की मौत उसी की पिस्टल से चली गोली से हुई है।

16 मई को घटना के बाद से वशिष्ठ के परिजनों ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर मुठभेड़ को फर्जी बता न्याय की गुहार लगाई थी, जिसके बाद पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने मुठभेड़ में शामिल स्पेशल सेल के सभी नौ कर्मियों का अलग-अलग यूनिटों में तबादला कर दिया था।

वहीं, गृहमंत्रलय के निर्देश पर घटना के अगले ही दिन जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी गई थी। दिल्ली सरकार ने भी मजिस्ट्रेट जांच बैठा दी थी। सभी की नजर सीएफएसएल की रिपोर्ट पर थी। ठीक 50 दिन बाद रिपोर्ट आई।

सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में बताया गया है कि मनोज की पिस्टल से चली गोली ही उसकी कपनटी के पास लगी थी, जो सिर को भेद कर खिड़की का शीशा तोड़ते हुए बाहर निकल गई थी। गोली में मिला खून का निशान मनोज के खून के नमूने से मिलान कर गया।

इसके अलावा मनोज के हाथ पर गन सॉट के पाउडर भी पाए गए थे, जिससे पता लग गया कि उसी ने अपनी पिस्टल की टिगर दबाई थी। दूसरी गोली सेल के एसआइ ने चलाई थी जो मनोज की कमर के पास चमड़ी को छूती हुई निकल गई थी और वह भी 90 डिग्री के एंगल में शीशे को भेदकर नीचे गिर गई थी।

अपने पक्ष में सीएफएसएल की रिपोर्ट आने से स्पेशल सेल के अधिकारियों व कर्मियों ने राहत की सांस ली है। क्योंकि घटना के बाद से मुठभेड़ को फर्जी करार देकर परिजन अबतक कई बार जंतर-मंतर पर पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं।

सेल का शुरू से कहना था कि उनका इरादा मुठभेड़ का नहीं था, लेकिन हालात ऐसे पैदा हो गए थे कि अचानक चली गोली से मनोज की मौत हो गई। सेल का कहना था कि पुलिसकर्मियों के परिचय देते ही वह कुर्सी छोड़कर खड़ा हो गया था और कमर से पिस्टल निकाल कॉक कर इंस्पेक्टर धर्मेद्र की तरफ तान दी थी।

ऐसी परिस्थिति में पुलिस शीर्ष न्यायालय के दिशा-निर्देश अनुसार आरोपी पर तुरंत गोली चला सकती है, लेकिन मारपीट के दौरान मनोज की पिस्टल से ही गोली चल गई जिससे उसकी मौत हो गई।


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