दिल्ली में पहली बारः लिवर को दो हिस्सों में बांटकर बचाई दो लोगों की जिंदगी
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कैडेवर डोनर (ब्रेन डेड व्यक्ति) से मिले एक लिवर को दो हिस्सों में बांटकर दो व्यस्कों की जिंदगी बचाई गई। डॉक्टरों ने लिवर का आधा हिस्सा लुधियाना (पंजाब) के रहने वाले एक युवक को और आधा हिस्सा दिल्ली की एक महिला को प्रत्यारोपित किया।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कैडेवर डोनर (ब्रेन डेड व्यक्ति) से मिले एक लिवर को दो हिस्सों में बांटकर दो व्यस्कों की जिंदगी बचाई गई।
डॉक्टरों ने लिवर का आधा हिस्सा लुधियाना (पंजाब) के रहने वाले एक युवक को और आधा हिस्सा दिल्ली की एक महिला को प्रत्यारोपित किया। एक लिवर को काटकर दो व्यस्कों में प्रत्यारोपण का दिल्ली में यह पहला मामला है।
अमूमन एक लिवर को एक ही मरीज में प्रत्यारोपित किया जाता है। आने वाले दिनों में यह तकनीकी लिवर के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होगी। अस्पताल के प्रमुख लिवर प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. सुभाष गुप्ता ने कहा कि लिवर को दो हिस्सों में बांटकर दो लोगों में प्रत्यारोपण पहले भी दूसरी जगहों पर हुए हैं। भारत में यह अपनी तरह का दूसरा मामला है।
उन्होंने कहा कि लिवर के दो हिस्से होते हैं। बायां हिस्सा बड़ा (65 फीसद) और दायां हिस्सा छोटा (35 फीसद) होता है। बड़े हिस्से को किसी व्यस्क और छोटे हिस्से को बच्चे को प्रत्यारोपित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि एक ही लिवर को दो हिस्से में बांटकर दो व्यस्कों में प्रत्यारोपण का चलन नहीं है, इसलिए यह सर्जरी कठिन थी। डॉक्टरों के अनुसार दुबई में नौकरी करने वाले एक 34 वर्षीय युवक को ब्रेन हेमरेज हो गया था। वहां उसकी सर्जरी की गई थी।
सुधार नहीं होने पर उसे अपोलो में भर्ती किया गया, मगर यहां भी उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। उसके परिवार वालों को बताने पर वह अंगदान के लिए तैयार हो गए और लिवर, किडनी, हार्ट वाल्व व दोनों कॉर्निया दान कर दिया।
डॉ. नीरव गोयल ने कहा कि प्रत्यारोपण के लिए लिवर के दोनों हिस्सों का बराबर होना जरूरी था। लिवर को दो बराबर हिस्सों में बांटना मुश्किल काम था। धमनियों से लिवर में खून आपूर्ति होने के बाद वापस हृदय में जाने के लिए दो नसें लिवर से जुड़ी होती हैं।
एक नस लिवर के बायें हिस्से की तरफ और दूसरी दायें हिस्से की तरफ जुड़ी होती है। इसके अलावा लिवर के बीच से होती हुई एक तीसरी नस भी बायें हिस्से से जुड़ी होती है। इसे मध्य मानकर डोनर के शरीर में ही लिवर को दो बराबर हिस्सों में बांटा गया।
दायें हिस्से को लुधियाना के रहने वाले 35 वर्षीय सरीन को और बायें हिस्से को दिल्ली की रहने वाली 41 वर्षीय महिला ललिता गुप्ता को प्रत्यारोपित किया गया और नसों को दोबारा बनाया गया। तीन जून को यह सर्जरी हुई थी। प्रत्यारोपण में करीब आठ घंटे लगे थे।
प्रत्यारोपण के बाद नहीं है कोई परेशानी
सर्जरी के करीब एक महीने बाद दो जुलाई को संवाददाता सम्मेलन के दौरान दोनों मरीज मौजूद थे और खुश नजर आ रहे थे। ललिता के पिता ने बताया कि तीन साल से उनकी बेटी को लिवर की परेशानी थी। एक साल पहले एम्स के डॉक्टरों ने कह दिया था कि लिवर बदलना पड़ेगा, लेकिन कोई डोनर नहीं मिल रहा था। प्रत्यारोपण के बाद कोई परेशानी नहीं है। सरीन ने कहा कि परिवार के लोग लिवर देने के लिए तैयार थे पर मैच नहीं हो पा रहा था। बहरहाल डॉक्टरों ने दोनों को संक्रमण से बचने की सलाह दी है। इसलिए मास्क पहनकर ही बाहर निकलते हैं।
सात लोगों को मिली जिंदगी
ब्रेन डेड युवक के अंगदान से सात लोगों को जीवन मिला। दो लोगों में कॉर्निया, दो लोगों में लिवर और दो लोगों में किडनी लगाई गई। इसके अलावा, हार्ट वाल्व एक अन्य मरीज को लगाया गया।